अहिल्या नगरी में इन दिनों चंदेरी महोत्सव जोरो शोरो से चल रहा है। कृष्णपुरा छतरी के पास स्थित मृगनयनी एम्पोरियम पर चंदेरी बुनकर अपना बेहद खास कलेक्शन लेकर आए हैं। आज के दौर में चंदेरी की पहचान यहाँ की कशीदाकारी और साड़ियों से है। आइए आपको कराते हैं दुनियाभर में पसंद किए जाने वाले चंदेरी से रूबरू।
ऐतिहासिक स्थल है चंदेरी
चंदेरी मालवा तथा बुंदेलखंड की सीमाओं से लगा विंध्य की पहाड़ी पर बसा हुआ शहर है, जो मध्यप्रदेश के अशोक नगर जिले में स्थित है। चंदेरी को ऐतिहासिक स्थल के नाम से जाना जाता है। चंदेरी का इतिहास उतना ही गौरवशाली है जितनी प्रसिद्ध यहाँ की कशीदाकारी है। इस शहर का इतिहास 11वीं शताब्दी से जुड़ा है, उस समय यह मध्य भारत का एक प्रमुख व्यापार केंद्र था। बुन्देलों और मालवा के सुल्तानों की बनवाई कई इमारतें इस शहर में देखी जा सकती है। इसका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। ऐसी भी मान्यता है कि चंदेरी फेब्रिक की खोज वेदिक युग में भगवान श्री कृष्ण की बुआ के पुत्र शिशुपाल ने की थी। चंदेरी हरे-भरे जंगलों तथा सुन्दर झीलों से घिरा हुआ नगर है। कहा जाता है कि विख्यात संगीतकार बैजू बावरा की कब्र भी यहीं पर है। यहाँ ऐसी कई ऐतिहासिक इमारतें हैं, जो हमेशा से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
चंदेरी फैब्रिक के बारे में कुछ रोचक तथ्य
मध्यप्रदेश स्थित चंदेरी में तीन तरह के फैब्रिक्स तैयार किए जाते हैं: प्योर सिल्क, चंदेरी कॉटन और सिल्क कॉटन। चंदेरी का विकास 1890 में शुरू हुआ, जब बुनकर हाथ से बने यार्न के बजाय मिलमेड यार्न से कपड़ा बुनने लगे। 1970 के करीब आते-आते वीवर्स ने तानेबाने में कॉटन का ताना और सिल्क का बाना रखा। इससे कपड़े पहले से मजबूत हुए। नलफर्मा, डंडीदार, चटाई, जंगला और मेहंदी वाले हाथ जैसे चंदेरी साड़ी के पैटर्न्स काफी पॉपुलर हुए। साथ ही इंडियन गवर्नमेंट ने चंदेरी फैब्रिक को मध्यप्रदेश के जियोग्राफिक इंडिकेशन से प्रोटेक्ट किया हुआ है।
अनूठा है चंदेरी का फेब्रिक और डिजाइन
चंदेरी फेब्रिक और डिजाइन दोनों ही अपने आप में अनूठी है। दुनियाभर में मध्यप्रदेश की चंदेरी कला प्रसिद्द है। चंदेरी की साड़ियां बॉलीबुड में भी कई एक्ट्रेस की पहली पसंद है। कई कलाकार चंदेरी जा भी चुके हैं, जिनमें करीना कपूर और आमिर खान भी शामिल हैं। आमिर और करीना अपनी फिल्म थ्री इडियट के प्रमोशन के लिए चंदेरी पहुँचे थे और यहाँ पर उन्होंने बुनकरों की मदद का वादा भी किया था।
चंदेरी फैब्रिक के टेक्सचर में आए काफी बदलाव
अंग्रेज, चंदेरी फैब्रिक बनाने के लिए मील में बनाए गए यार्न के उपयोग के बाद कोलकाता के माध्यम से मैनचेस्टर की जगह कॉटन यार्न लेकर आए। इससे चंदेरी फैब्रिक के टेक्सचर में काफी बदलाव आया। इसके बाद 1930 के करीब, जब कपड़े के ताने में जापानी सिल्क और बाने में कॉटन रखा तो साड़ी की मजबूती कम हुई। दोनों फैब्रिक्स के धागे आपस में उस तरह नहीं जुड़ सके जैसे पहले जुड़ते थे। यही वजह है कि साड़ी को लंबे समय तक फोल्ड कर रखो तो साड़ी फोल्ड पर से कट जाती है।
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