कबरई बना कब्रगाह: बीमार हो रहा है बुंदेलखंड



 महोबा जिले में लगातार खनन और स्टोन क्रशर के कारण बुंदलेखंड को बीमारियों ने जकड़ लिया है। खदान में काम करने वाले मजदूरों से लेकर इस क्षेत्र में रहने वाले कई लोग गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। किसी को अस्थमा तो किसी को टीबी जैसी गंभीर बीमारी है। स्टोन की धूल से सिलकोसिस बीमारी भी बढ़ रही है। इसमें शरीर में एलर्जी होती है। हर घर में बीमारी की दस्तक है। इसके बावजूद मजबूरी में उसी धूल में ग्रामीणों को रहना पड़ रहा है।
गांव के 70 फीसदी लोग हैं बीमार
कबरई से सटा हुआ एक डहर्रा गांव है। यहां पर पत्थर मंडी है। गांव से चंद कदम दूर हर दिन पहाड़ों में ब्लास्ट होते हैं। दिन रात डंपर पत्थरों को ढोते हैं और पास में लगे क्रशरों में पत्थरों की कटाई होती है। ये गांव खनन और क्रशर से बेइंतहा प्रभावित है। यहां हर घर में तीन चार लोग बीमार हैं। पूरे गांव की बात करें तो तकरीबन 70 फीसदी लोग बीमार हैं, जिसकी वजह खनन और क्रशर से निकलने वाली धूल है।
बुंदलेखंड पर खनन और क्रशर के प्रभाव को लेकर कुछ खास शोध नहीं हुए हैं। मगर सन 2011 में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के एसवीएस राणा, अमित पाल और शेख असदुल्ला का एक अध्ययन जर्नल ऑफ ईकोफिजियोलॉजी एंड ऑक्युपेशनल हेल्थ में प्रकाशित हुआ, जिससे यहां पर स्टोन डस्ट से होने वाली बीमारियों के बारे में अहम जानकारी मिलती है। अध्ययन के मुताबिक  खदानों और स्टोन क्रशर में काम करने वाले 45.11 फीसदी मजदूर सांस की बीमारी से ग्रसित हैं। 43.33 फीसदी लोग त्वचा रोग, 21.53 फीसदी लोगों की सुनने की क्षमता कम हो जाती है। 14.66 फीसदी लोग दमा और 17.8 फीसदी लोग आंखों की बीमारी से ग्रसित हैं। इसी तरह इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों पर भी प्रभाव पड़ा है। वो भी इन्हीं बीमारियों से जूझ रहे हैं। यह अध्ययन तीन सौ लोगों पर किया गया था। जो क्रशर चलने वाले इलाकों व वहां काम करने वाले थे।
40 फीसदी लोगों की रेडियोलॉजी रिपोर्ट है असामान्य
महात्मा गांधी ग्रामोदय विवि के महेंद्र कुमार उपाध्याय और सूर्यकांत चतुर्वेदी का एक रिसर्च पेपर इंटरनेशनल जर्नल ऑफ साइंस एंड रिसर्च में 2016 में प्रकाशित हुआ था। अध्ययन में बुंदेलखंड के बांदा, भरतकूप और महोबा के कबरई क्षेत्र को शामिल किया गया था। इस रिपोर्ट के अनुसार स्टोन क्रशर से निकलने वाली धूल को नियंत्रित करने का कोई भी उपाय नहीं किया गया। धूल सीधे हवा में उड़ती है, जिससे दमा, अस्थमा, टीबी और त्वचा रोग हो रहा है। रिसर्च के मुताबिक कबरई के 40 फीसदी लोगों की रेडियोलॉजी रिपोर्ट असामान्य आई थी। 
उपरोक्त आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बुंदेलखंड में बीमारी कितनी तेजी से पनप रही है।

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