बुंदेलखंड में खेती किसानी: बेर और चने की खेती ज्यादा फायदेमंद



बांदा। खेती को व्यावसायिक बनाना है तो जलवायु और मिट्टी को पहचानना होगा। ऊंचे न सोचकर अपने क्षेत्रीय फल बेर, चने की भाजी, साग आदि की खेती बुंदेलखंड में ज्यादा फायदेमंद हो सकती है। यह बात खेती और पशुपालन में माहिर बुंदेलखंड के किसान मोहम्मद लाल खां (बरईमानपुर) ने कही। उन्होंने किसानों को अन्ना मवेशियों से फसलें बचाने के भी उपाय बताए। इसके अलावा कई किसानों ने और भी सवाल पूछे। उन्होंने किसानों की शंकाओं का भी समाधान किया।
प्रश्न- बकरी पालन कितना फायदेमंद है? इसे कैसे किया जाए? (संजय, बांदा)
उत्तर- बुंदेलखंड में बकरी पालन लाभदायक व्यवसाय है, लेकिन इसका उद्देश्य तय करना पड़ेगा कि हम पालन बकरी दूध के लिए कर रहे हैं या बकरों के लिए? दोनों ही फायदेमंद हैं। इसके लिए बाड़ा बनाकर क्षमता के मुताबिक बकरियां रखी जाएं। उनके खाने-पीने और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
प्रश्न- फसल में ऐसी कौन सी दवा छिड़कें, जिससे पशु न खा पाएं? मटर के लिए कितना तापमान चाहिए? (स्कंद तिवारी, महोबा)
उत्तर- फसल की सुरक्षा कई तरीके से की जा सकती है। खेत पर चौतरफा बाड़ बाढ़ बना दें या जानवर का गोबर खेत के किनारे-किनारे डाल दें। जानवर इसे देखकर फसल नहीं खाएगा। हमने अपने खेत में नीलगायों से फसल को बचाने को यही उपाय किया था। मटर की फसल के लिए 26 से 27 सेंटीग्रेट तापमान होना चाहिए।
प्रश्न- गाय या भैंस की डेयरी किस तरह की जा सकती है? (मोहम्मद असलम खां, छनेहरा, बांदा)
उत्तर- पशुपालन से पहले पानी का इंतजाम कर लें। अपनी डेयरी के दूध और घी की बाजार में गुणवत्ता साबित करें। लोगों को बताएं कि दूध मिलावटी व बनावटी नहीं है। यही टिप्स डेयरी व्यवसाय को बुलंदी पर ले जा सकता है।
प्रश्न- महोबा को सात साल पहले डार्कजोन घोषित किया जा चुका है। जिले में एक भी सरकारी ट्यूबवेल नहीं है। हम कौन सी खेती करें? (अजय विश्वकर्मा, महोबा)
उत्तर- पूरे बुंदेलखंड में सिर्फ कुदरती बारिश के भरोसे अच्छी खेती नहीं की जा सकती है। बारिश के पानी को संरक्षित करना भी जरूरी है। इसके लिए खेत तालाब योजना बेहतर है। 
साभार: अमर उजाला

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