भारतेंदु नाट्य अकादमी के सदस्य देवीदीन पाल ने कहा है कि बुंदेलखंड की नाट्य प्रतिभाओं को अब विशेष तवज्जो दी जाएगी। उनकी प्रतिभा को निखार कर सबके सामने लाया जाएगा। लखनऊ में मंच मुहैया कराया जाएगा। उन्हें हर वह सुविधा मिलेगी, जिसके वे हकदार हैं।
बांदा के मरौली निवासी देवीदीन लंबे समय से लखनऊ में स्थायी निवास कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार पिछली बार भी वे ही सदस्य थे। इमरजेंसी में 19 माह जेल में रहने वाले देवीदीन संस्कार भारती से लंबे समय से जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी के पहले वह अल्मोड़ा में रहते थे, वहाँ जेल में रहने के दौरान पंडित मुरली मनोहर जोशी भी साथ रहे। बाद में वे लखनऊ के खदरा इलाके के दीनदयाल नगर में स्थायी रूप से बस गए।
लखनऊ के मॉडल हाउस सरस्वती शिशु मंदिर में प्रधानाचार्य रहे। सन 2008 से विश्व हिंदू परिषद के एकल विद्यालय की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में रहे। करीब चार साल पहले झांसी के पास सड़क हादसे में वे घायल हो गए थे। इसके बाद पैर में रॉड पड़ने से अब प्रवास की स्थिति नहीं रही।
देवीदीन बताते हैं कि शुरुआत से ही वे रंगमंच से जुड़े हुए हैं। अपना थियेटर भी था। सन 1989 में संस्कार भारती का गठन होने के बाद से लगातार उसी से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि ऑडिटोरियम की व्यवस्था करने के साथ दर्शकों से भरपूर मंच दिलाया जाना प्राथमिकता में रहेगा। बांदा में तीन ऑडिटोरियम हैं। यहाँ पर नाट्य प्रतिभाएं भी हैं, जिन्हें आगे बढ़ाना ही प्राथमिकता है। नाथूराम लश्करी, दीनदयाल सोनी, धनंजय सिंह आदि ने उनके चयन पर हर्ष जताया।
बांदा के मरौली निवासी देवीदीन लंबे समय से लखनऊ में स्थायी निवास कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार पिछली बार भी वे ही सदस्य थे। इमरजेंसी में 19 माह जेल में रहने वाले देवीदीन संस्कार भारती से लंबे समय से जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी के पहले वह अल्मोड़ा में रहते थे, वहाँ जेल में रहने के दौरान पंडित मुरली मनोहर जोशी भी साथ रहे। बाद में वे लखनऊ के खदरा इलाके के दीनदयाल नगर में स्थायी रूप से बस गए।
लखनऊ के मॉडल हाउस सरस्वती शिशु मंदिर में प्रधानाचार्य रहे। सन 2008 से विश्व हिंदू परिषद के एकल विद्यालय की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में रहे। करीब चार साल पहले झांसी के पास सड़क हादसे में वे घायल हो गए थे। इसके बाद पैर में रॉड पड़ने से अब प्रवास की स्थिति नहीं रही।
देवीदीन बताते हैं कि शुरुआत से ही वे रंगमंच से जुड़े हुए हैं। अपना थियेटर भी था। सन 1989 में संस्कार भारती का गठन होने के बाद से लगातार उसी से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि ऑडिटोरियम की व्यवस्था करने के साथ दर्शकों से भरपूर मंच दिलाया जाना प्राथमिकता में रहेगा। बांदा में तीन ऑडिटोरियम हैं। यहाँ पर नाट्य प्रतिभाएं भी हैं, जिन्हें आगे बढ़ाना ही प्राथमिकता है। नाथूराम लश्करी, दीनदयाल सोनी, धनंजय सिंह आदि ने उनके चयन पर हर्ष जताया।
0 टिप्पणियाँ