बुंदेलखंड में शुरू हुई ड्रैगन फ्रूट की पैदावार; खास बात: इंजीनियर कर रहा है खेती



खेती-किसानी भले घाटे का सौदा समझी जाए, लेकिन नई सोच के साथ सामने आ रहे युवा इसे एक अवसर की तरह आजमा रहे हैं। गेहूं, चावल की पारंपरिक खेती छोड़ युवाओं ने औषधीय, फल एवं पुष्प पैदावार शुरू की है। बुंदेलखंड में भी तमाम युवा इसी रास्ते पर चल रहे हैं। 

झांसी में जानी-मानी आईटी कंपनी में बतौर सॉफ्टेवयर इंजीनियर कार्यरत एक युवक ने अपने काम से अलग-थलग खेती-किसानी की डगर थाम ली। उसने पारंपरिक किसानी से बिल्कुल अलग शुरू किया। थाइलैंड जैसे देशों में बेहद लोकप्रिय ड्रैगन फ्रूट की पैदावार उसने झांसी में ही शुरू कर दी। कुछ दिनों पहले खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बुंदेलखंड के किसानों से इसे अपनाने की अपील कर चुके हैं।

ऐसे आया विचार 

झांसी निवासी चैतन्य सिंह एवं प्रमेंद्र सिंह ने मिलकर यहां ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है। ड्रैगन फ्रूट खासतौर से थाइलैंड, वियतनाम जैसे देशों में बहुतायत में होता है। दक्षिण भारत खासतौर से गोवा, मुंबई जैसे शहरों में यह काफी लोकप्रिय है। अंदर एवं बाहर से लाल रंग वाला यह फल यहाँ करीब 250-300 रुपये प्रति किलो बिकता है। चैतन्य बताते हैं कि महाराष्ट्र में काम करने के दौरान शगाली जिले के कुछ किसानों से उनका संपर्क हुआ। ये किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती करते थे।

यह है वजह

आईटी की ऊहापोह भरी नौकरी से परेशान हो चुके चैतन्य वापस झांसी लौटने का मन बना रहे थे। इन किसानों से मुलाकात के बाद इंटरनेट पर सर्चिंग से पता चला कि झांसी की मिट्टी अनुकूल है। अपने दोस्त की मदद से शहर से बाहर उनाव-बालाजी रोड पर जमीन खरीदी। चैतन्य के मुताबिक शुरूआत में अच्छा-खासा खर्चा आया। शामाली के साथ थाईलैंड से बीज मंगवाए। शुरू में समझ अधिक न होने से तमाम पौधे नष्ट हो गए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। सिंचाई के लिए ड्रिप इरीगेशन का इस्तेमाल किया। काफी कोशिश के बाद अब उनके पांच एकड़ के खेत में करीब 8000 पौधे तैयार हो गए। पहले वर्ष में 250-300 किलो फल का उत्पादन हुआ, लेकिन चैतन्य इससे उत्साहित हैं। उनका कहना है फल की काफी खपत है। वे उत्पादन बढ़ने के साथ ही इसे बाहर भेजने की भी तैयारी कर रहे हैं।

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