ओम प्रकाश कुशवाहा (45 वर्ष) का शव 11 अक्टूबर रविवार को खेत में पेड़ से लटका मिला। परिजनों के मुताबिक उन्होंने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। ओम प्रकाश उत्तर प्रदेश के बुंदलेखंड वाले हिस्से में झांसी जिले के थाना तोड़ी फतेपुर के तलपुरा गांव में रहते थे। तीन एकड़ खेत के मालिक ओमप्रकाश के दो बेटे दिल्ली में बेलदारी का काम करते हैं।
ओम प्रकाश के छोटे बेटे दीप चंद्र कुशवाहा ने कहा कि पिताजी रोज की तरह ही खेत गए थे, वहीं फांसी लगा ली। ठीक से तो नहीं पता लेकिन वे बताते थे कि 2-3 लाख रुपए का कर्ज है, जिसमें से एक लाख रुपए बनियों (व्यापारियों) से लिया था। खेत में पानी की दिक्कत थी तो जमीन ठेके पर दे दी थी।
घर में दीपचंद के के अलावा एक बड़ा भाई और तीन बहनें हैं। बड़े बेटे की शादी काफी पहले हो गई थी, उसके भी एक बच्चा है, जबकि पिछले जून में दीपचंद की शादी हुई, उसके लिए भी कर्ज लिया गया था। दोनों भाई दिल्ली में बेलदारी का काम करते हैं। 250 से 300 रुपए एक दिन का मिलता है। वे बताते हैं कि पिताजी भी राजमिस्त्री का काम कर लेते थे, लेकिन इधर उन्हें काम नहीं मिल रहा था। कोरोना में हम लग लोग दिल्ली से लौट आए थे और शादी के बाद फिर चले गए थे। अभी दो हफ्ते पहले ही झांसी आए थे। पिताजी को टेंशन रहती थी कि कर्ज कहां से चुकाएंगे, बाकी घर में सब ठीक था।
झांसी के मऊ कस्बे में पोस्टमार्टम हाउस के बाहर खड़े दीपचंद को पिता की मृत्यु के शोक के साथ इस बात की भी चिंता थी कि उनकी मजदूरी से परिवार का गुजारा कैसे होगा और जो कर्ज पिता जी के सिर पर था वह कैसे चुकाएंगे। झांसी के किसान नेता और किसान कांग्रेस के अध्यक्ष शिवनारायण परिहार सुबह मृतक के घर पहुंचे थे। उन्होंने कहा "बुंदेलखंड में कर्ज लोगों की आत्महत्या का बड़ा कारण है। मेरा मुख्यमंत्री ने निवेदन है पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद करें, बुंदेलखंड के हालात किसी से छिपे नहीं हैं।"
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