जरुआखेड़ा के पास स्थित हनौता परीक्षित गांव में समूचे बुंदेलखंड का संभवत: एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहाँ माँ अंजनी अपने पुत्र हनुमानजी के साथ विराजमान हैं। सुरम्य पहाड़ियों की तलहटी से घिरे इस मंदिर में होने वाले चमत्कारों से क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति अंजान नहीं है। इसकी ख्याति दूर-दूर तक है।
स्थानीय व क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक ये प्रतिमाएं अति प्राचीन व विलक्षण हैं। नवरात्र आते ही माँ अंजनी के दरबार में चहल-पहल बढ़ जाती है। भक्तों का भी विश्वास है कि यहाँ आने के बाद असीम आत्मबल मिलता है। प्रभु हनुमानजी का सुमिरन आत्मबल प्रदान करता है। हनुमान जी के साथ जहाँ माँ अंजनी स्वयं विराजमान हो, वहाँ भय, शोक, चिंता कैसे रह सकती है।
नवरात्र आते ही बढ़ जाती है चहल-पहल
माँ अंजनी के मंदिर पहुंचने के लिए बांदरी से जरुआखेड़ा मार्ग तथा सागर-खुरई मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। मंदिर के मुख्य पुजारी बताते हैं कि हनौता परीक्षित गांव में स्थित हनुमानजी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को कष्टों से भी मुक्ति मिलती है।
श्रद्धालुओं ने भी बताया कि जिले का एकमात्र माँ अंजनी का दरबार भक्तों की आस्था का केन्द्र है। ऐसा मंदिर जिले तो क्या, समूचे बुंदेलखंड में और कहीं नहीं है। यहाँ आने के बाद श्रद्धालुओं को असीम शांति मिलती है और बड़े से बड़ा कष्ट सहज ही दूर होने लगता है।
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