झाँसी के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय परिसर में पहाड़ी पर स्थित कैमासन मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मान्यता है कि कैमासन मंदिर का बुंदेलखंड में बड़ा महत्व है। यह मंदिर असम के माँ कामाख्या मंदिर के समान है। तंत्र पूजा के लिए यह एक विशेष स्थान है। मंदिर में विशाल विजय दीप स्तंभ पर श्रद्धालु दीप प्रज्जवलित करते हैं। नवरात्र पर कैमासन मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। पहाड़ी के ऊपर स्थित इस मंदिर में नवरात्र के 9 दिनों तक भंडारा होता है। दूर-दूर से लोग माँ के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर में करीब 136 सीढ़ियां हैं। ऊंची पहाड़ी पर मंदिर होने से संपूर्ण शहर को देखा जा सकता है।
जानकारी के अनुसार इस मंदिर का निर्माण संभवत: चंदेलों के शासन काल के दौरान हुआ था। कभी यह इलाका पूरी तरह से जंगल क्षेत्र था। लेकिन शहर एवं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के विकास के साथ ही मंदिर का भी तेजी से विकास हुआ। नवरात्र पर अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए देश के कई हिस्सों से श्रद्धालु मां के दरबार में हाजिरी लगाने आते है।
यह है मंदिर का इतिहास
पौराणिक कथा को मानें तो 17वीं सदी के अंत और 18वीं शताब्दी के शुरुआत में जब कालपी और आसपास के स्थानों पर मुगल साम्राज्य था, उस समय यहाँ कैमासन और मैमासन नाम की दो बहनें रहती थीं। दोनों बहनों की सुंदरता के चर्चे दूर-दूर तक थे। उनकी सुंदरता पर मुगल शासकों की गलत नजर पड़ गई। मुगलों के नापाक इरादों को भांपते हुए दोनों बहनें अपनी अस्मिता बचाने के लिए भागकर जंगलों में छुप गईं। लेकिन उन्हें ताकतवर शासकों से बचने की उम्मीद नहीं थी। मुगलों से सुरक्षित बचने के लिए उन्होंने अलग-अलग पहाड़ी पर जाकर अपनी जीवनलीला को समाप्त कर लिया।
उनके बलिदान को याद करते हुए बुंदेली शासनकाल में राजा वीर सिंह ने बड़ी बहन माँ कामांक्षा देवी की मूर्ति झांसी के कैमासन पहाड़ पर स्थापित करवाई और छोटी बहन की मूर्ति को मैमासन पहाड़ पर स्थापित करवाया। मंदिर का निर्माण काल संवत 1120 बताया जाता है।
मैमासन मंदिर की देख-रेख
मैमासन मंदिर की देख-रेख का जिम्मा इंडियन आर्मी के पास है। मंदिर के पुजारी सुबेदार विजय कुमार मिश्र बताते हैं, एक समय यहाँ घना जंगल हुआ करता था। मंदिर में रानी लक्ष्मीबाई से लेकर कई राजा महाराजा दर्शन के लिए आते थे। जब से झांसी में यह क्षेत्र आर्मी के कब्जे में आया है, तब से मंदिर का सौंदर्यीकरण हुआ है। अब मंदिर में बहुत दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।
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