इन दिनों भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्रीज के चर्चित सुपर स्टार खेसारीलाल यादव व काजल राघवानी को लेकर फिल्म लिट्टी चोखा की शूटिंग बुन्देलखण्ड के विभिन्न स्थानों पर चल रही है। इसी कड़ी में सोमवार को गौरिहार तहसील के ग्राम ठाकुर्रा स्थित केल नदी लोकेशन में फिल्म का एक गाना फिल्माया गया। शूटिंग को देखने आस पास के गांवों से हजारों लोग पहुँचे, जो देर शाम तक शूटिंग स्थल पर डटे रहे। सुबह 9 बजे से सेट लगाकर शूटिंग प्रारंभ हुई जो देर शाम तक चलती रही।
छतरपुर शहर में भी इस फिल्म के कुछ सीन फिल्माए जाने की बात चल रही है। इस फिल्म के निर्देशक पराग पाटिल हैं, जिनके द्वारा खेसारी लाल यादव व काजल राघवानी को लेकर फिल्म संघर्ष का निर्देशन किया था और यह फिल्म भोजपुरी बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट रही थी।
भोजपुरी फिल्म स्टारों को देखने उमड़ पड़ा जनसैलाब
यह पहला मौका था जब इस अंचल में किसी फिल्म को लेकर शूटिंग हुई है, सुबह से जैसे जैसे लोगों को पता चलता गया लोग एकत्र होते गए। भोजपुरी फिल्म के सुपर स्टार खेसारी लाल यादव व फिल्म की हिरोइन काजल राघवानी की एक झलक पाने के लिए भारी मात्रा में लोग शाम तक शूटिंग स्थल पर बने रहे। आपको बता दें कि क्षेत्र में बहु संख्यक लोग भोजपुरी फिल्में देखने का शौक रखते हैं। इस शूटिंग को देखने युवाओं सहित महिलाएं भी आई थीं, एक युवक तो घर से नदी में नहाने निकला था, जिसने जब तक शूटिंग चली तब तक न तो नहाया और न खाना खाया। नदी के रिपटे सहित आस पास बड़ी संख्या में वाहनों की कतारें देखी गईं।
रोजगार और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इस फिल्म के सह निर्माता पदम सिंह महोबा जिले के ग्राम खरेला निवासी हैं, जो पिछले 18 वर्षों से हिंदी और भोजपुरी सिनेमा से जुड़े हैं। उनसे हुई मुलाकात में उन्होंने बताया कि लिट्टी चोखा फिल्म नाम रखने के पीछे खेसारी लाल के जीवन के संघर्षों की कहानी है। इसी को बेचकर उन्होंने अपने जीवन को कामयाबी के मुकाम तक पहुंचाया है। इस फिल्म में ड्रामा, कॉमेडी, इमोशन, एक्शन सबकुछ समाहित है। इस फिल्म की कहानी हट कर है। इस फिल्म की शूटिंग की तैयारी कालिंजर समेत उन तमाम सांस्कृतिक एवं मूल्यवान धरोहरों पर करने की है जिनसे बुंदेलखंड की कला को न केवल देश बल्कि विश्व स्तर पर अलग पहचान दिलाई जा सके। इस फिल्म के लेखक राकेश त्रिपाठी हैं, जिनके द्वारा भोजपुरी सुपरहिट फिल्म संघर्ष की कहानी लिखी गई थी।
वे बताते हैं कि मैं इस बात को लेकर अति उत्साहित हूँ कि इस अंचल में फिल्म की शूटिंग कर पा रहा हूँ। मैंने लॉकडाउन के समय बांदा में काफी समय गुजारा और वहाँ के सांस्कृतिक, आंचलिक, ग्रामीण व राजनैतिक सभी परिपेक्ष में अध्ययन किया और लोगों से मिलने के बाद मुझे लगा कि यहाँ तो पर्यटन को बढ़ावा देने की उचित व्यवस्था ही नहीं है। यहाँ बड़ी-बड़ी धरोहरे हैं, लेकिन उनकी पहचान उस स्तर पर नहीं है, जिस स्तर पर होनी चाहिए। इसलिए फिल्म के माध्यम से इन स्थलों को उजागर करने का मन बनाया। योगी आदित्यनाथ जी ने जो फिल्म सिटी को बढ़ावा दिया है, उसका असर मेरे ऊपर भी पड़ा और मैंने सोचा कि यही सही वक्त है जब बुंदेलखंड में फिल्म के माध्यम से कल्चर और पर्यटन विभाग को जोड़ सकते हैं। यदि यह फिल्म हमारी मील का पत्थर साबित होती है तो निश्चय ही हम कम से कम 10 फिल्में प्रति वर्ष बुंदेलखंड अंचल में बना पाएंगे, जिससे रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
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