बुंदेलखंड में स्वीकृत डेयरी प्लांट परियोजना एक कदम भी नहीं चली, 107 करोड़ की थी लागत



बुंदेलखंड दुग्ध उत्पादन के चलते रोजगार के अवसर बढ़ाने के उद्देश्य से जनपद में पिछले वर्ष 107 करोड़ की लागत से स्वीकृत डेयरी प्लांट परियोजना एक कदम भी नहीं चली। एक लाख लीटर क्षमता की इस परियोजना से बुंदेली युवाओं को दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में रोजगार मुहैया कराने का मकसद था। जमीन के पेंच में यह महत्वपूर्ण परियोजना आगे नहीं बढ़ पा रही है, जबकि धनराशि पूरी मिल चुकी है।
बता दें कि बुंदेलखंड में दुग्ध उत्पादन के अपार अवसर हैं। जनपद में इस समय में हर रोज करीब डेढ़ लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है, जबकि खपत इससे दोगुनी है। यह खपत बाहर के दूध से पूरी करनी पड़ रही है। दूध का वाजिब मूल्य न मिलने से पशुपालक यहाँ पशुपालन से कतरा रहे हैं। 
सरकार ने यहाँ दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 2019-20 में बुंदेलखंड पैकेज से दुग्ध डेयरी प्लांट लगाने की स्वीकृति दी थी। इसके लिए 107.16 करोड़ रुपये का बजट भी जारी किया गया था। दुग्ध डेयरी प्लांट में चिलिंग प्लांट के साथ अत्याधुनिक मशीनें लगाकर दूध की प्रोसेसिंग कर छांछ, दही, पनीर व दूध आदि की पैकिंग कराया जाना है। 
शहर तथा नगरीय इलाकों के साथ बुंदेलखंड के सभी जनपदों में इनकी आपूर्ति किए जाने की मंशा था। सरकार ने पूर्व में इसे राजकीय निर्माण निगम को प्लांट तैयार करने के लिए नामित किया था। लेकिन बाद में खुद कार्यदायी संस्था होने के कारण पीसीडीएफ ने इसे अपने जिम्मे ले लिया। शहर के नरैनी रोड स्थित दुग्ध संघ के चिलिंग प्लांट में इसके लिए छह हेक्टेयर जमीन चिह्नित की गई है। बजट मिले तथा परियोजना की स्वीकृति हुए करीब एक वर्ष का समय बीत गया, लेकिन यह एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी।
बता दें कि परियोजना की स्वीकृति मथुरा में भी मिली थी। वहाँ 50 फीसद से ज्यादा कार्य पूरा हो गया है। बुंदेलखंड के युवाओं की बदकिस्मती यहाँ भी हावी है। इस महत्वपूर्ण परियोजना के पूरे न होने से दुग्ध उत्पादन के जरिए अपनी आर्थिक तरक्की का सपना पाले युवाओं में मायूसी है।

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