किसान की 15 में से 12 मांगों पर केंद्र सहमत, इसका मतलब बिल सही नहीं

 



केन्द्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो सप्ताह से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने गुरुवार को कहा कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है, तो वे रेल पटरियां अवरुद्ध कर देंगे. किसान संघों ने आज हुई अपनी बैठक के बाद कहा कि वे देश भर में रेल पटरियां अवरुद्ध करने की तारीख का जल्द ही ऐलान करेंगे.


सिंघू बॉर्डर पर मीडिया से बातचीत में किसान संघों ने कहा कि वे विरोध-प्रदर्शन को तेज करेंगे और राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने वाले सभी राजमार्गों को जाम करना शुरू करेंगे. गौरतलब है कि दिल्ली में प्रवेश करने से रोके जाने के बाद पिछले करीब दो सप्ताह से किसान सिंघू बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं. वे नये कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रखने की मांग कर रहे हैं.

मांग पूरी नहीं तो रेल पटरियां करेंगे अवरुद्ध
सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में किसान नेता बूटा सिंह ने कहा, ‘‘अगर हमारी मांगें नहीं मानी गई, तो हम रेल पटरियां अवरुद्ध करेंगे. हम इसकी तारीख तय कर जल्द ही घोषणा करेंगे. रेल पटिरियां सिर्फ पंजाब और हरियाणा में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में अवरुद्ध की जाएंगी.’’ किसानों ने यह घोषणा ऐेसे वक्त की है, जब केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बातचीत जारी है और ऐसे में आंदोलन के अगले चरण की घोषणा करना उचित नहीं है. उन्होंने किसान संघों से फिलहाल बातचीत करने को कहा है.
तोमर ने किसान संघों के नेताओं से उन्हें भेजे गए प्रस्ताव के मसौदे पर विचार करने को कहा. केन्द्र सरकार ने कृषि कानूनों के विरोध के कारण जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए किसानों से बातचीत के बाद उन्हें संधोशन से जुड़े प्रस्ताव का एक मसौदा भेजा है.

एमएसपी का कानूनों से कोई लेनादेना नहीं
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'एमएसपी का इन कानूनों से कोई लेनादेना नहीं है. ये कानून एमएसपी को जरा भी प्रभावित नहीं करते हैं.' तोमर ने बताय 'प्रधानमंत्री और मैंने किसानों को यह भरोसा दिया है कि एमएसपी जारी रहेगी.' कॉन्फ्रेंस में शामिल केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा 'कुछ चिंताएं थीं कि किसानों को निजी बाजारों में प्रोडक्ट बेचने को मजबूर किया जाएगा.' गोयल ने कहा 'यह पूरी तरह से गलत है. कानून में ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है, जो किसानों को किसी भी तरह मजबूर करे.'

सरकार ने व्यापारियों के बनाए हैं कानून
एक अन्य किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, ‘‘केन्द्र ने स्वीकार किया है कि कानून व्यापारियों के लिए बनाए गए हैं. अगर कृषि राज्य का विषय है तो, केन्द्र को उसपर कानून बनाने का अधिकार नहीं है.’’हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों पर प्रदर्शन करते हुए नए कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को बनाए रखने की मांग कर रहे हैं.

सरकार ने बुधवार को कहा कि वह फसलों के लिए मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था को जारी रखने का लिखित आश्वासन देगी. हालांकि, किसान संघों ने प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि जबतक सरकार कानूनों को वापस लेने की उनकी मांग मान नहीं लेती, वे अपना आंदोलन तेज करेंगे. सरकार ने मंडी प्रणाली सहित कम से कम सात मुद्दों पर जरुरी संशोधन करने का प्रस्ताव रखा है.

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