नई दिल्ली: विज्ञान भवन में सरकार और किसानों के बीच हुई आखरी बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने किसानों के सामने एक प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव के अंतर्गत सरकार ने तीनों कृषि कानूनों पर 18 महीने की रोक लगाने की बात कही थी। इस पर किसान संगठनों ने विचार करने की बात कही थी। जिसके बाद किसान संगठनों के प्रमुखों ने सरकार के वादे पर संदेह जताया है। आइये आपको दिखाते किसने क्या कहा।
जुमलेबाज सरकार के वादों पर कोई भरोसा नहीं है। कृषि कानून तत्काल वापस होने चाहिए। कृषि कानूनों के वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा। यदि किसान मोर्चा समझौता करता है तो वह मान्य होगा।
-संजीव तोमर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाकियू (तोमर)
केंद्र सरकार यह जान चुकी है कि मांगें पूरी हुए बिना अब किसान दिल्ली की सड़क खाली नहीं करेंगे। ऐसे में अब किसानों को सड़कों से उठाने के लिए महज आश्वासन दिया जा रहा है।
-पद्म सिंह रोड़, प्रदेश उपाध्यक्ष, भाकियू (रोड़)
देशभर के सभी किसान संगठनों की एक ही मांग है कि तीनों कृषि सुधार कानून वापस होने चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जो भी निर्णय लिया जाएगा, वह सर्वमान्य होगा।
-गुलशन रोड़, राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तराखंड किसान मोर्चा
किसान कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर रही है, लेकिन सरकार से कोई उम्मीद नहीं है। सरकार 17 साल में अपने विधायकों की आय दस बार बढ़ा चुकी है, लेकिन किसानों से कोई सरोकार नहीं है।
-संजय चौधरी, गढ़वाल मंडल अध्यक्ष, भाकियू (टिकैत)
केंद्र की भाजपा सरकार लगातार झूठे वादे करती आ रही है। जब तक सरकार की ओर से लिखित में आश्वासन नहीं दिया जाता है कि कृषि कानूनों को वापस किया जाएगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
-राकेश अग्रवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, किसान मजदूर-संगठन सोसायटी
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