#ArnabExpose!
"सारे मंत्री हमलोगों के साथ हैं."
चैट से ऐसे कितने सवाल निकले? इन सवालों में कितना दम है?
सरकार ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक और अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने की जानकारी पहले ही एक टीवी एंकर को दे दी थी?
क्या टीआरपी घोटाले में बीजेपी और केंद्र की मोदी सरकार का भी हाथ है?
गोस्वामी प्रधानमंत्री कार्यालय समेत राजनीतिक नेतृत्व के ज़रिए दासगुप्ता जैसे अन्य मित्रों की मदद कर रहे थे?
क्या अर्नब ने जजों को भी ख़रीदने की कोशिश की?
मंत्रिमंडल में कौन सा पद किसको मिलेगा, क्या उसका निर्णय भी पत्रकारों द्वारा किया गया?
और तो और क्या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल तक जानना चाहते थे कि अर्नब को ये सारी खबर कैसे मिली।'
क्या AS से बात कर के BARC के खिलाफ TRAI को थोड़ा नरम रहने के लिए कहा गया?
रजत शर्मा और NBA का भी जिक्र इन चैट्स में है।
ये इल्जामात लगाए गए हैं, रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ़ और मालिक अर्नब गोस्वामी और पार्थो दासगुप्ता के ऊपर जो बार्क (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) के पूर्व प्रमुख हैं. पार्थों और दो अन्य लोग टीआरपी घोटाले मामले में इस समय गिरफ़्तार हैं. मुंबई पुलिस ने टीआरपी केस में रिपब्लिक टीवी के एडिटर अर्नब गोस्वामी के ख़िलाफ़ पूरक चार्जशीट दायर की है और उसी में पार्थो दासगुप्ता और अर्नब के बीच की चैट को शामिल किया गया है.
चैट में और भी बहुत सी बातें कहीं गयी हैं, इस बातचीत में गोस्वामी प्रधानमंत्री कार्यालय समेत राजनीतिक नेतृत्व के ज़रिए दासगुप्ता की मदद का आश्वासन करते हैं और एक जगह तो यहां तक कहते हैं, "सारे मंत्री हमलोगों के साथ हैं."
ये सारी बातें ऐसे सुनने में तो बड़ी भयानक कृत वाली लग रही है लेकिन इनके आधार की अभी भी कोई जानकारी किसी को नहीं दी गई है। चैट कहाँ से किसने कैसे भेज दी ऐसे सवाल भी उठना लाजमी है और उठ भी रहे हैं। हम तो यही कहेंगे वॉट्सऐप चैट की गंभीरता से जाँच की जानी चाहिए और जो की चल ही रही है लेकिन
यदि इन बातों में जरा भी सच्चाई है तो ये हम सभी के लिए सोचना जरुरी है कि क्या किसी भी परिस्थित में सेना की रणनीति एक टीवी चैनल के व्यावसायिक हित को पूरा करने के लिए लीक की जा सकती है। या फिर राजनीतिक फायदों के लिए मीडिया को इस तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है?
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