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जीवन में इस प्रश्न का उत्तर जितनी जल्दी ढूंढ लें, अच्छा होगा

मुसीबतें जीवन का हिस्सा है, इन्हें जितनी जल्दी अवसर बनाया जाए अच्छा है। मन में भारीपन है? कोई बात नहीं, इन दिनों आम है। जब जीवन को उसकी गहराई में जाकर देखते है तो तमाम "क्यों" के उत्तर ख़ुद-ब-ख़ुद बाहर आ जाते है। जिस दिन 'क्यों' का उत्तर मिल जाए समझो आधी दिक्कतें ख़त्म। मन का भार अपनेआप कम होने लगता है। 


मैंने शिकायतें करना छोड़ दिया, मैं हल्का महसूस कर रहा हूँ। इतना हल्का जितना पहले इतने सालों में ख़ुद को कभी न किया था। हमें मान लेना चाहिए कि हमारे साथ जो बुरा हो रहा है वो ख़ुद के कारण हो रहा है और जो अच्छा होगा वो भी ख़ुद के कारण होगा। अनुभवी लोग कहते है हमारे पास दो ही चॉइस है। जो नहीं है उसका ग़म मनाए या जो है उसके लिए प्रकृति का आभार व्यक्त करे? निःसंदेह दूसरी चॉइस ही जीवन का प्रिंसिपल होना चाहिए।

आज जब मैं ये बात लिख रहा हूँ इस वक़्त करोड़ों लोग भूख के सपने देख रहे होंगे, वे बेहद भूखे होंगे। लाखों लोग सुसाइड के बारे में सोच रहे होंगे, हज़ारों कर चुके होंगे। करोड़ों के पास ओढ़ने के लिए कंबल और सोने के लिए बिस्तर नहीं है। लेकिन आप क्यों दुःखी है? कहीं हमारे दुःख भ्रम तो नहीं। यकीनन भ्रम ही है। 

विलियम बार्कले कहते है कि जीवन में दो दिन बहुत  खास होते है, एक वो जब हम पैदा होते और दूसरा वो जब हम ये जान जाते है कि हम पैदा क्यों हुए है? जीवन में हज़ारों प्रश्न आते है लेकिन ये प्रश्न सबसे खास है, इसके अलग मायने है। इस प्रश्न में आशा की किरण छुपी है, इस प्रश्न के पार कितने ही दरवाज़े है, इस प्रश्न के पार सबकुछ है, इस प्रश्न के पार ही असल जीवन है। हमें जल्दी ही इस 'क्यों' का उत्तर ढूंढ लेना चाहिए।


लेखक: पीयूष 

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