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महाशिवरात्रि 11 मार्च 2021 , फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को

 देश में 11 मार्च गुरुवार को पड़ रही त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी तिथि में महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। जो कि इस बार कई मायने में खास है। शिव और शक्ति के मिलन के पर्व पर कई खास योग बन रहे हैं। शिवयोग, सिद्धियोग में पड़ रही शिवरात्रि पर घनिष्ठा नक्षत्र का संयोग होगा, जिससे पर्व की महत्ता और अधिक बढ़ गई है। मान्यता है कि पूरी श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। शिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा का विधान है। इस पावन अवसर पर रुद्राभिषेक का भी खास महत्व माना गया है।



शिकारी चित्रभानु को साहुकार ने बंदी बना लिया

महाशिवरात्रि की कथा का वर्णन शिव पुराण में मिलता है. इस कथा के अनुसार पुरातन काल में एक शिकारी था, जिसका नाम चित्रभानु था. यह शिकारी एक साहूकार का कर्जदार था. कर्ज न दे पाने के की स्थिति में साहूकार ने उसे एक शिवमठ में बंदी बना दिया. संयोग से जिस दिन से बंदी बनाया उस दिन महाशिवरात्रि थी. साहूकार ने इस दिन अपने घर में पूजा का आयोजन किया. पूजा के बाद कथा का पाठ किया गया. शिकारी भी पूजा और कथा में बताई गई बातों को बातों को ध्यान से सुनता रहा.

शिकारी ने साहुकार से ऋण चुकाने का वाद किया

पूजा कार्यक्रम समाप्त होने के बाद साहुकान ने शिकारी को अपने पास बुलाया और उससे अगले दिन ऋण चुकाने की बात कही. इस पर शिकारी ने वचन दिया. साहुकार ने उसे मुक्त कर दिया. शिकारी जंगल में शिकार के लिए आ गया. शिकार की खोज में उसे रात हो गई. जंगल में ही उसने रात बिताई. शिकारी एक तालाब के किनारे एक बेल के पेड़ पर चढ़ कर रात बीतने लगा. बेलपत्र के पेड़ नीचे एक शिवलिंग था. जो बेलपत्रों से ढक चुका था. इस बात का शिकारी को कुछ भी पता नहीं था. आराम करने के लिए उसने बेलपत्र की कुछ सखाएं तोड़ीं, इस प्रक्रिया में कुछ बेलपत्र की पत्तियां शिवलिंग पर गिर पड़ी. शिकारी भूखा प्यास उसी स्थान पर बैठा रहा. इस प्रकार से शिकारी का व्रत हो गया. तभी गर्भिणी हिरणी तालाब पर पानी पीने के लिए आई.


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