पंचायत चुनाव को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश , आज जारी होगी आरक्षण सूची

त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में ग्राम प्रधान, ब्लॉक प्रमुख समेत सदस्यों के कई पदों के आरक्षण प्रस्ताव को तैयार कर लिया गया है । मंगलवार दोपहर तक आरक्षण सूची जारी होने की उम्मीद है। चुनावी मैदान में कूदने को बेताब उम्मीदवार दिन भर अपने संपर्कों के जरिए अपनी सीट की स्थितियां टटोलते की कोशिश करते रहे।



पंचायत चुनाव को लेकर हाईकोर्ट के निर्देशों को देखते हुए सरकार तेजी से तैयारियों में जुटी है इसके पहले किसान आंदोलन को देखते हुए सरकार इसे टालने के मूड में दिखाई दे रही थी लेकिन, हाईकोर्ट के दखल के बाद उसे चुनावी पटरी पर वापस लौटना पड़ा।

पिछले माह आरक्षण संबंधी शासनादेश जारी करके प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई थी। तीन मार्च तक अंतरिम आरक्षण सूची तय करनी है। इसे देखते हुए पिछले तीन दिनों से प्रशासनिक अमला इसे अंतिम रूम देने में जुटा रहा। जातिगत आंकड़े समेत वर्ष 1995-2015 के बीच हुए चुनाव में आरक्षित पदों के ब्योरे भी प्रोफार्मा के दर्ज किए गए हैं। शासनादेश के मुताबिक आज दिनभर आला अफसर बैठक करके तयशुदा कोटे के मुताबिक सीटें तय करने में जुटे रहे। आला अफसरों का कहना है सीटों को आरक्षित करने का काम करीब पूरा हो गया है। कुछ काम शेष है। इसे पूरा करके मंगलवार दोपहर तक सूची जारी कर दी जाएगी। विकास भवन में सोमवार को नेताओं का दिन भर जमावड़ा रहा। कर्मचारियों तक ने अपने मोबाइल फोन बंद कर रखे थे।

शासनादेश में तय समय सारणी के मुताबिक पदों का आरक्षण तय कर लिया गया है। मामूली संशोधन शेष हैं। अंतरिम प्रकाशन के बाद चार मार्च से आपत्तियां ली जाएंगी। 12 मार्च तक उनको निस्तारण करके 14 मार्च तक आरक्षण की अंतिम सूची प्रकाशित कर दी जाएगी। - शैलेष कुमार सीडीओ

आरक्षण प्रक्रिया आरंभ होने के साथ ही जालसाज भी सक्रिय हो उठे। उम्मीदवारों से उनके मन मुताबिक आरक्षण कराने के नाम पर जालसाज 80 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक ऐंठ रहे हैं। इनमें कुछ डीपीआरओ कार्यालय से भी संबद्ध बताए जा रहे। चुनावी समर में कूदने वाले नए उम्मीदवार उन पर आसानी से भरोसा भी कर रहे हैं। कई जानकार ऐसे हैं जिनके पास आरक्षण से जुड़े सभी आंकड़े हैं। ऐसे में शासनादेश के मुताबिक सीटों का उन्होंने अनुमान कर लिया। अब उसकी मदद से वह सीटों का सौदा करने में जुटे हैं। इस जालसाज गिरोह के चंगुल में कई उदीयमान उम्मीदवार फंस चुके हैं लेकिन, अभी कोई अपनी जुबान खोलने को राजी नहीं है। अधिकारियों का दो टूक कहना है कि सीधे शासन की निगरानी होने एवं बाद में हाईकोर्ट में मामला फंस जाने की आशंका को देखते हुए किसी भी तरह की गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं रहती। सीडीओ शैलेष कुमार का भी कहना है आरक्षण तय करना किसी एक व्यक्ति के हाथ में नहीं होता।


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