भारत बायोटेक का स्वदेशी कोरोना टीका परीक्षण में 81 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है। इसके इस्तेमाल को लेकर संभावनाएं और बेहतर हो गई हैं। इससे पहले कंपनी के टीके के परीक्षण के अंतिम परिणाम आने से पहले ही इसके आपात इस्तेमाल की मंजूरी दिए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। कंपनी के टीके के अग्रिम चिकित्सीय परीक्षण के आंकड़े अब आ गए हैं।
कोरोना महामारी के बीच जब कोविशील्ड और भारत बायोटेक के स्वदेशी कोरोना टीके (कोवैक्सीन) को इमर्जेंसी यूज के लिए अप्रूवल दिया गया तो बहस छिड़ने लगी। वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू होते ही कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं ने कोवैक्सीन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे। कांग्रेस पार्टी के नेता मनीष तिवारी ने कहा था कि वैक्सीन के प्रति भरोसा पैदा करने के लिए सबसे पहले पीएम मोदी को टीका लगवाना चाहिए। वहीं, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी ट्वीट करते हुए कहा था कि कोवैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल पूरा नहीं हुआ है, बिना सोचे समझे अनुमति दे दी गई है। यह खतरनाक हो सकता है। इतना ही नहीं, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने तो कहा था कि वह बीजेपी की वैक्सीन नहीं लगवाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि मुझे इनकी वैक्सीन पर भरोसा नहीं है।
हैदराबाद की (भारत बायोटेक) कंपनी ने एक बयान में कहा कि उसके तीसरे चरण के परीक्षण में 25,800 व्यक्ति शामिल हुए। भारत में इस तरह का यह अब तक का सबसे बड़ा परीक्षण है। इसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से पूरा किया गया। भारत बायोटेक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कृष्णा एल्ला ने कहा, ‘कोवैक्सिन ने उच्च चिकित्सीय प्रभाविता दिखाई है, साथ ही इसने तेजी से उभरते कोरोना के नए रूपों के खिलाफ भी बेहतर रोधक क्षमता दिखाई है।' एक अन्य वीडियो संबोधन में उन्होंने कहा, ‘कई लोगों ने हमारी आलोचना की।’
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