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सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूर्व सरकारों पर साधा निशाना , बोले जल्द पूरा होगा 18 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट

 बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के निरीक्षण के लिए मंगलवार को कुठौंद के लाड़पुर दिवारा गांव पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की बारीकी से जानकारी ली । नक्शे से कार्य प्रगति की हकीकत जानी और फिर स्वयं ही निर्माणस्थल पर पहुंचकर प्रयोग की जा रही निर्माण सामग्री व मशीनरी के विषय में भी पूछताछ की।



मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कम समय में अधिक से अधिक एक्सप्रेसवे के निरीक्षण के लिए नक्शे की भी मदद ली। वे एक्सप्रेसवे के प्रति पूरी तरह से गंभीर नजर आ रहे थे। हेलमेट लगाकर उन्होंने वहां चल रहे काम को भी देखा। उन्होंने मौजूद अधिकारियों और इंजीनियरों की टीम के साथ बैठक की और इस दौरान जनप्रतिनिधियों को भी अपने साथ रखा।



अधिकारियों से कहा कि 18 हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट में किसी तरह ही हीलाहवाली न हो और निर्धारित समय पर इसे बनाकर तैयार किया जाए। सीएम अपने निर्धारित समय सुबह के 9 बजकर 50 मिनट से चंद मिनटों पहले ही कार्यक्रम स्थल पहुंच गए थे। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में न सिर्फ केंद्र व प्रदेश सरकार की ओर से बुंदेलखंड को दी गई सौगातें ही गिनाई बल्कि पूर्व की सरकारों पर क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप भी मढ़ा।

निर्माण कार्य की समीक्षा के दौरान यूपीडा के अधिकारियों ने बताया कि एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य का अधिकांश काम लगभग पूरा हो चुका है। जिस पर मुख्यमंत्री ने कार्य में और तेजी लाने के निर्देश दिए ताकि सात आठ माह के भीतर ही एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हो जाए। इसके बाद उन्होंने मंच से कहा कि इस परियोजना की शक्ल में बुंदेलखंड क्षेत्र के लोगों का सपना पूरा हो रहा है।

सात आठ माह में एक्सप्रेसवे के पूरा होते ही बुंदेलखंड न सिर्फ पर्यटन का क्षेत्र बनेगा बल्कि यहां औद्योगिक क्षेत्र में भी विकसित होगा। जिससे कनेक्टीविटी तेज होगी और लोगों को रोजगार भी मिलेगा। हर घर नल की योजना को भी बहुत जल्द जल जीवन मिशन के तहत पूरा किया जाना है । पचनद पर बैराज भी बनाया जा रहा है। इससे न सिर्फ यहां के लोगों को पीने बल्कि सिंचाई के लिए भी भरपूर पानी मिलेगा। बुंदेलखंड के झांसी और चित्रकूट में सरकार दो एयरपोर्ट तैयार किए जा रहे हैं।  पूर्व की सरकारों की मंशा ठीक नहीं थी, तभी तो गिट्टी मिट्टी होते हुए भी बंदेलखंड का विकास नहीं किया। पूर्व की सरकारों में केवल बुंदेलखंड के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन ही हुआ है।


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