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बाबू केदारनाथ अग्रवाल को उनकी 111वीं जयंती पर दी गई भावपूर्ण श्रद्धांजलि

ऐ इंसानों ओस न चाटो, अपने हाथों पर्वत काटो जैसी उत्साहवर्धक कविताओं के पुरोधा और जनकवि बाबू केदारनाथ अग्रवाल को उनकी 111वीं जयंती पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई। साहित्यकारों ने कहा कि वह मानवतावादी कवि और किसानों व निर्धनों की आवाज थे।




केदार बाबू का जन्म पहली अप्रैल 1911 को हुआ था। एक अप्रैल की शाम को शहर के एक रेस्टोरेंट में केदार स्मृति न्यास के बैनर तले जयंती मनाई गई। नगर पालिकाध्यक्ष मोहन साहू ने कहा कि बाबूजी न सिर्फ बांदा, बल्कि बुंदेलखंड की शान और पहचान थे। न्यास उपाध्यक्ष डा. शबाना रफीक ने कहा कि वह मानवतावादी कवि के साथ ही हमेशा किसानों और निर्धनों के समर्थक रहे।


 

उनकी जीवनशैली सुधारने के लिए कई कविताएं लिखीं। केदार बाबू ने विकसित देशों की तुच्छ राजनीति पर भी कविताएं लिखीं। समिति के सचिव नरेंद्र पुंडरीक ने केदार बाबू को यथार्थवादी कवि बताते हुए कहा कि वह वकील होते हुए भी वकालत पसंद नहीं करते थे। डा. अंकिता तिवारी ने केदार बाबू की पांच कविताओं का पाठ किया। इसमें उनका व्यक्तित्व बयां किया गया था।

किसानों के बारे में सोचे बगैर देश का भला नहीं हो सकता। चंद्रपाल कश्यप ने केदार बाबू के काव्य संग्रहों का जिक्र किया। आकांक्षा बरनवाल और अंजू दमेले ने रचनाएं पेश कीं। न्यास उपाध्यक्ष और पूर्व प्रधानाचार्य बाबूलाल गुप्त ने केदार बाबू की रचनाएं सुनाईं। न्यास अध्यक्ष शिवफल सिंह, चंद्रपाल कश्यप आदि ने भी संबोधित किया। नृत्य गुरु श्रद्धा निगम के निर्देशन में उनकी शिष्य छात्राओं विभूति, अदिति, आराध्या, अवनि, छवि गुप्ता, आद्या तिवारी, सीमा सिंह, श्रद्धा सिंह, स्वप्निल और तनिष्क सक्सेना ने भावपूर्ण नृत्य पेश किए। उन्हें शील्ड आदि देकर सम्मानित और पुरस्कृत किया गया। समारोह का संचालन महिला डिग्री कालेज हिंदी विभागाध्यक्ष डा. शशिभूषण मिश्र ने किया। इस मौके पर संजय निगम अकेला, प्रधानाचार्य बीना गुप्ता आदि मौजूद थे।

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