प्रशासनिक सेवा में जाने वाले सभी लोगों को लोगों की चाहत रहती है कि वह कलेक्टर अवश्य बने जो सीधे आईएएस से जाते हैं उन्हें कुछ सालों की जरूरी ट्रेनिंग से निकलने के बाद डिप्टी कलेक्टर जिला पंचायत कार्यपालन अधिकारी एवं अपर कलेक्टर के सफ़र से गुजरना पड़ता है तब जाकर इनको कलेक्टर बनने का मौका मिलता है और यह सपना पूरा हो पाता है जिसमें लगभग 5 से 8 साल तक का समय गुजर जाता है।
मंत्री पटेल: लोगों को जागरूक करें, मेडिकल किट करें वितरित
वर्तमान में जबलपुर में पदस्थ आईएएस अपर कलेक्टर अनूप सिंह ने अपनी बीमार माँ की सेवा के लिए शुक्रवार की दोपहर में नियुक्त हुआ दमोह कलेक्टर पद को स्वीकार करने से इंकार कर दिया| शुक्रवार दोपहर में जारी हुए तबादला सूची में अनूप सिंह को दमोह कलेक्टर तरुण राठी की जगह पदस्थापना की गई थी, लेकिन आईएएस अनूप सिंह ने दमोह कलेक्टर बनने से जरुरी अपनी माँ की सेवा को समझा और इसके चलते उन्होंने प्रशासन को दमोह कलेक्टर बनने से इंकार कर दिया| मूलरूप से कानपुर के रहने वाले आईएएस अनूप सिंह ने शुक्रवार को दमोह कलेक्टर बनाए जाने पर कहा कि मेरी माताजी बीमार है और फिलहाल उनकी सेवा के लिए यह पद स्वीकार करने से मना कर दिया है|
Sivakali Rusia उम्र 91साल लेकिन जोश युवाओं से कम नहीं, ये हैं बुंदेलखंड की Mother Teresa
सख्त मिजाज और सरल स्वभाव
अनूप सिंह की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उनकी जगह इंदौर नगर निगम कमिश्नर को दमोह कलेक्टर बनाया है| पूर्व में रतलाम के जावरा में रहे आईएएस अनूप सिंह अपनी सख्त कार्रवाई और अत्यंत सरल स्वभाव के कारण जाने जाते हैं|आज अपने बीमार माँ की सेवा के लिए कलेक्टर का पद छोड़ कर उन्होंने साबित कर दिया कि माँ की सेवा कलेक्टर के ख्वाब से ऊपर है|
आपका Bundelkhand Troopel टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।
0 टिप्पणियाँ