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विवाह संस्कार के विभिन्न चरणों के लिए बुन्देलखण्ड के लोकगीत

विवाह संस्कार हिन्दू समाज की सभी जातियों में बड़े उल्लास से मनाया जाता है। इस संस्कार में पति-पत्नी, पवित्र बंधन में बंधकर सृष्टि का आधार बनते हैं। यह संस्कार कई चरणों में पूरा होता है। लगुन, भटयानौ, बाबू मूंदवौ, हलदी तेल चढ़ावौ, अरगौ मडवा, चीकट, साजन, चढ़ाव, भांवर कन्यादान पांवपखराई, धान बुआई, ज्योनार, कुंवर कलेवा, कंगन छोरवौ, गूज-छोरवौ, डलिया सजावो, विदा, सगुन चिरैया आदि।


1.  पलट देखौ अंगना में रंग बरसत है। (लगुन के गीत)

     रंग बरसत है अबीर उड़त है।

     पलट देखौ अंगना में रंग बरसत।


2.    सरग न सैनी पाटकी, जा पै चढ़-न्यौते देंय (मटियानो/देवतन कौ नौते)

     तुम मोरे नेवते गनेश जू तुम मोरे आइयो

     तुम मोरे नेवते लाला हरदौल तुम मोरे आइयों,

     तुम मोरे नेवते पवन सुत, तुम मोरे आइयो।


3.     तीन दिना दोईरात, बाबू अनहोनी मूंदियो, (बाबू-मूदन का गीत)

      मूंदौ मूंदौ, जिठनिया की जीव, बरन ऐसों मूंदियो।

      मकरी माछी मूंदौ मूंदौ पगरैतन की जीव

      बिच्छू किच्छू मूंदियो, मूंदौ जेठो बडिन की जीव,

      तीन दिना दोइरात, असुभ मूंदियो, आंधी बैहर मूंदियों,

      मूंदौ कुटुम भरे की जीव।

      बाबू अनहोनी मूंदियो।


4.     हरद कहै पिपरी आरौ मोहे, (हरदी/तेला-चढ़ाने का गीत)

      मोय बिन काज न होय,

      ऐसी भाभी लाड़ बहुरिया

      नित उठ बनियां के जाय,

      सेर नवै तरवरी चढ़त, हरदी सरकत जाय।

      हरद कहै पियरी ...........


5.     उठ धनरी मेरी चंद्रा हो वदनी, (अरगै कौ गीत)

      करमा रची हो नौनी बीधरिया

      तुमरी बीहरिय हमें न सुहावै,

      हमरे विरन् वसे परदेशा में,


6.     सुगर बड़ैया, चंदन मड़वा रुच-रुच के गढ़ त्याऔरे, (मड़वा)

      रौयौ फूफा ने आमुन जामुन के पत्तन सों छाऔ रे,

      सौने की झारी बुआ भरल्याई, छप्पन भोग लगाऔ रे

      देउन देउतन, सुमिर मनई मन, जुरमिल मंगल गाऔ रे, ........


7.     चिठिया लिखराई बहिन विरन कौं, (चीकट)

      बिरन मोरें भात लियाइयों

      सुसरा कों ल्याइयों भईया पाग पिछौरा

      सासो मोरी बड़ी रंगीली

      लैगा हरौ रंगाइयो। बिरन मोरे ........


8.     कोट नवै, परवत नवै, सिर नवये न अये

      माथों अजुल जू को तब नवै, जब साजन धर आये,

      कौना के बड़े बगिया, जिन बाग लगाये

      कौना की बेटी कोकिला फुल बीनन आई

      राजा जनक के बगिया, जिन बाग लगाये, कोट नवै ......


9.     सिया जू को चढ़त, चढ़ाव, जनक दशरथ मोहरये (चढ़ाव)

      कानन के तरका, पेटी अजब बनी, बिंदिया रतन जड़ाव।

      सिया जू .......

      हाथन कौ कागना अजब बनौ, झुमका है रतन जड़ाव।

      सिया यू .........


10.    पैली भांवर के परई भौजी मन मुसकाई (भांवर गीत)

      दूजी भांवर के परतई, माई मन सकुचाई

      तीजी भांवर के परतई विरन की आंखे भर आई

      चैथी भांवर के परतई सखियन खुशी मनाई

      छठई भांवर के परतई, मैना मन बिलखाई

      सातई भांवर जब परी, बेटी भई पराई। .......


11.    बिच गंगा बिच जमुना तीरथ बड़े हैं पिराग, (कन्यादान/पांव पखराई)

      जहाँ बिच बैठे बाबुल मोरे, देत कुँआरन दान

      तुम जिन जानौ बाबुल मोरे, हमरो दियो गिर जाय,

      तुम ने दओ हमने पाऔ, गहरी गंगा नहाव

      काय कौ बाबुल गंगा कौं जैहों, कायकौ तीरथ पिराग

      मडवा नैचे बाबुल गंगा बहत हैं, उतई है तीरथ पिराग। ........


12.    आतर परसी, पातर परसी, दई दुनियां (ज्योनार गीत)

      निबुआ परसे, अथाने परसे, परसदई अमियां

      भटा परसे रतालू परसे, परस दई घुइयां

      पूरी परसी, कचैरी परसी, परसी मिरजापुरियां।


13.    जाऔ लली तुम फलियो फूलियो (बिदाई)

      सदा सुहागिन रहियो मोरी लाल,

      एक बात हम तुमसे कहत हैं,

      चित दै सुनियो मोरी लाल


14. क) पायल दाब चलौ मोरी सजनी (सुहागरात गीत)

      कानन मनक न होय

      रये बउ लरका सुख में सोय

      पायल दाब चलौ मोरी सजनी


   ख) बनरा की हेरे बाट

      बना मोरौ कब घर आवै जूं


15.    आरी ऐसी आसमान में लंबू तमकें तरें दुलीचाभारी (रोटी छुमाई की गारी)

      आरे, ऐरी कनक दल वे नारद ल्याये

      लक्षमन लोटा थारी

      आरी ऐरी रुच रुच दूध कौसिल्या ओटे

      केसर मिसरी डारी,

      आरी ऐरी राम लखन दोऊ जेवन बैठे

      परसें जनक दुलारी

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