Banner

बक्सवाहा जंगल बचाव आंदोलन में अब बुंदेलखंड से PM Modi और CM Yogi को भेजे जा रहे खूनी खत

यूपी के बुंदेलखंड के जिलों समेत सीमावर्ती पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के जनपदों में इन दिनों खून के खत लिखे जा रहे हैं। ये खून से लिखे ये खत प्रधानमंत्री, यूपी और एमपी के मुख्यमंत्रियों को भेजे जा रहे हैं। यह मुहिम उप्र बुंदेलखंड के बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर व फतेहपुर जिलों में लोगों ने छेड़ रखी है। इसमें बुदेलों का कई सामाजिक संगठन भी साथ दे रहे हैं और उनकी मुहिम को अंजाम तक पहुंचाने में जुट गए हैं।

दरअसल, बुदेलखंड के कई संगठन मध्य प्रदेश के छतरपुर में स्थित बक्सवाहा जंगल में हीरा उत्खनन के लिए दो लाख से अधिक पेड़ों को काटने का विरोध कर रहे हैं। बुंदेली समाज के महामंत्री डा. अजय बरसैया ने बताया कि मप्र के छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी में भी पर्यावरण प्रेमी खून से खत लिख रहे हैं। वहीं, बक्सवाहा जंगल बचाओ आंदोलन में बुंदेलखंड क्रांति दल, बुंदेलखंड राष्ट्र समिति, बजरंग सेना समेत कई संगठनों ने भी हुंकार भरी है। एक जून को संगठनों के प्रतिनिधियों ने जंगल में भ्रमण किया था। प्रदेश स्तर पर बात नहीं बनी तो दिल्ली तक जाकर धरना देंगे।

संगठनों के प्रतिनिधियों के मुताबिक, बुंदेलखंड के हजारों साल पुराने बक्सवाहा जंगल को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। मप्र सरकार ने विशाल हीरा भंडार मिलने के बाद एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 382 हेक्टेयर जंगल 50 साल की लीज पर दे दिया है। अब वहां लगे 2.15 लाख पेड़ काटे जाएंगे। इसका कई जगह विरोध हो रहा है।

पर्यावरण दिवस से शुरू किया आंदोलन

पांच जून को पर्यावरण दिवस के मौके पर बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने साथियों के साथ आल्हा चौक पर खून से खत लिखे। साहित्यकार संतोष पटैरिया, प्रवीण चौरसिया, हरिओम निषाद आदि भी आगे बढ़े हैं। हमीरपुर में अभिषेक सिंह, राम बली, रमेश कुमार व बरदानी लाल, बांदा में शैलेंद्र जौहरी, शुभम कश्यप ने चिट्ठी लिखी है।

स्रोत-जागरण 
आपका Bundelkhand Troopel टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ