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15 घंटे बाद शव का हो सका अंतिम संस्कार, ईसाई समाज का कब्रिस्तान न होने से


दतिया-इंदरगढ़।
इंदरगढ़ कस्बा निवासी एक ईसाई युवक की मौत हो जाने के बाद उसके शव को 2 गज जमीन के लिए करीब 15 घंटे तक इंतजार करना पड़ा। मृतक के स्वजनों की गुहार के बाद स्थानीय प्रशासन ने व्यवस्था कराई जिसके बाद उसे लांच स्थित सिंध नदी के किनारे दफनाया जा सका। इंदरगढ़ कस्बे में निवासरत ईसाई परिवारों के लिए कोई कब्रिस्तान न होने के कारण यह स्थिति पैदा हुई। ईसाई समाज द्वारा कब्रिस्तान की मांग के बाद भी स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई व्यवस्था न किए जाने से समाज के लोगों को यह परेशानी उठानी पड़ रही है।

इंदरगढ़ कस्बे के संतोषी माता मंदिर के पास निवासरत युवक जोन पुत्र रसीद ईसाई की गत सोमवार रात्रि 10 बजे मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद स्वजन उसे ईसाई धर्म अनुसार दफनाने के लिए करीब 15 घंटे तक इधर-उधर भटकते रहे। जब कोई रास्ता नहीं दिखा तो स्वजनों ने मुस्लिम कब्रिस्तान में दफनाने का प्रयास किया। लेकिन मुस्लिम समाज ने अपने कब्रिस्तान में ईसाई युवक के शव को दफनाने की स्वीकृति नहीं दी। थक हारकर स्वजनों ने इस मामले में स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाई।

इसके बाद सेवढ़ा एसडीएम अनुराग निंगवाल ने इंदरगढ़ नगर परिषद में ईसाई व मुस्लिम समुदाय के लोगों को बुलाकर समझाने का प्रयास किया। लेकिन मुस्लिम समाज ने अपने कब्रिस्तान में शव दफनाने के लिए साफ मना कर दिया।

इसके बाद मृतक के स्वजनों को समझाइश देकर मंगलवार दोपहर एसडीएम ने युवक जोन का शव, वाहन से लांच स्थित सिंध नदी किनारे दफनाने भिजवाया। जहां पटवारी रामखिलावन जाटव की देखरेख में दफनाने की प्रक्रिया पूरी की गई। तब जाकर 15 घंटे बाद ईसाई युवक को दफनाने के लिए दो गज जमीन मिल सकी। मृतक के स्वजन विनोद ईसाई, राजू ईसाई, शम्मी ईसाई ने बताया कि इंदरगढ़ नगर में 10 से 15 परिवार ईसाइयों के रहते हैं, लेकिन नगर में उनके लिए कब्रिस्तान नहीं होने से हमेशा उन्हें परेशानी उठानी पड़ती है। ईसाई समाज से कोई मृत होता है तो उसे दफनाने में परेशानियां उत्पन्ना होती हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग है कि समाज को थोड़ी जमीन उपलब्ध करवा दें, ताकि इस तरह की परेशानी फिर न उठानी पड़े। मृतक की मौसी ने बताया कि मृतक जोन उनकी छोटी बहन का बेटा था, जो 20 साल पहले माता-पिता के निधन के बाद उनके पास ही रहता था। गत सोमवार बीमार होने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।






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