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हरा सोना, बुंदेलखंड की ऊबड़-खाबड़ जमीन पर तैयार होगा


जागरण संवाददाता, बांदा : बुंदेलखंड की पथरीली व ऊबड़ खाबड़ जमीन में हरा सोना तैयार होगा। खेरवा के जैविक कृषि फार्म में प्रगतिशील किसान संजीव अवस्थी ने पांच हेक्टेयर में विभिन्न प्रजातियों के बांस के पौधे लगाए हैं। दो से तीन वर्ष में ये तैयार हो जाएंगे। इससे अच्छी आय होगी। कानपुर, प्रयागराज व अलीगढ़ की मंडी में ये बांस अपनी शोभा बढ़ाएंगे।

बुंदेलखंड में पथरीली व उबड़खाबड़ जमीन में धान, गेहूं व अन्य फसलें उम्मीद के मुताबिक नहीं हो पाती हैं। इससे किसानों की आर्थिक रूप से तरक्की नहीं हो पा रही है। हालांकि तमाम किसानों ने अब कृषि विश्वविद्यालय व कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से व्यवसायिक खेती शुरू की है। करीब तीन दशक पहले तक बुंदेलखंड में बांस की विशेष रूप से उपज होती थी। हर किसान के घर के आसपास बेकार पड़ी जमीन व खेतों की मेड़ में बांस शोभा बढ़ाते थे, लेकिन इधर, बांस बहुत ही कम दिखाई देते हैं। बांस की खेती पर कृषि विद्यालय में शोध का भी कार्य चल रहा है। अब यह हरा सोना (बांस) बुंदेलखंड की पथरीली धरती पर फिर लहलहाएगा। इसकी शुरुआत महुआ ब्लाक के खेरवा गांव निवासी प्रगतिशील किसान संजीव अवस्थी व विज्ञान शुक्ला ने कर दी है। इस वर्ष उन्होंने अपने जैविक कृषि फार्म में पांच हेक्टेयर में करीब दस हजार बांस के पौधे रोपित किए हैं। अलग-अलग प्रजाति के बांस इसमें तैयार होंगे। इन बांसों की खपत बांदा के अलावा प्रयागराज, कानपुर व अलीगढ़ की मंडियों में भी होगी। इसके लिए बांस के कारोबारी इन किसानों के संपर्क में हैं। अभी रोपित किए गए बांस के पौधे दो वर्ष में तैयार हो जाएंगे। इससे अच्छी आमदनी होने लगेगी

खेतों में फसलें, मेड़ों में लहलहाएगा हरा सोना

बांदा : प्रगतिशील किसान विज्ञान शुक्ला कहते हैं कि बांस की खेती बेहद फायदेमंद है। खेती में उन्नतशील फसलें लहलाएंगी तो मेड़ों में हरा सोना तैयार होगा। इसमें खासियत यह है कि एक साल लगाने पर 40 साल तक इसकी लगातार फसल की जा सकती है। इसमें ज्यादा देखरेख की जरूरत नहीं होती। बड़ी बात यह है कि बांस की फसल को बेसहारा गोवंश भी नहीं नुकसान पहुंचाते।

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हरा सोना से किसानों को फायदा :

कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की डा.शालिनी पुरवार कहती हैं कि एक हेक्टेयर में 1500 से 2500 पौधे (कोठ) लगाए जाते हैं। चार वर्ष के बाद एक हेक्टेयर में प्रति वर्ष करीब चार लाख की आमदनी होगी। पौधा जितना पुराना होगा, उतने ही ज्यादा बांस तैयार होते जाएंगे।

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बुंदेली बांस तैयार होंगी टोकरी व सीढि़यां

बांदा : बुंदेली बांस से टोकरी व डलियां तैयार होंगी। इसके अलावा सीढ़ी, चटाई, व साज-सज्जा का सामान तैयार होगा। घरों व रेस्टोरेंट को आधुनिक लुक देने के लिए उपयोग में यह बांस आएगा। इसके अलावा ज्यादा उत्पादन होने पर यह कागज बनाने में भी उपयोग होगा।

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किसानों को बांस की खेती के लिए करेंगे प्रेरित

-बांस की खेती के लिए बुंदेलखंड में अपार संभावनाएं हैं। हमारा खेरवा कृषि फार्म किसानों के लिए मॉडल के रूप में उभरेगा। बुंदेलखंड के किसानों को प्रेरित करते हुए बांस की नर्सरी दी जाएगी। किसान बांस लगाकर अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकेंगे।

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