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Bundelkhand Medical College के पीआरओ Dr. Umesh Patel ने कहा, मरीजों की हालत अब स्थिर

 


मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के मरीज़ों को शनिवार को एम्फोटेरेशिन-बी इंजेक्शन लगते ही उनकी तबियत बिगड़ गई, अस्पताल में ब्लैक फंगस के 42 मरीज भर्ती हैं. इंजेक्शन लगाते ही वार्ड में 27 मरीजों की हालत बिगड़ने लगी. उन्हें बुखार और उल्टी समेत कई तरह की शिकायतें होने लगी. इस घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन ने फौरन इंजेक्शन लगाना बंद कर दिया.  मरीजों को शासन की तरफ से भेजे गएएम्फोटेरेशिन-बी इंजेक्शन (Amphotericin-B Injections)ही लगाए गए थे. मेडिकल कॉलेज के पीआरओ डॉ. उमेश पटेल ने कहा कि इंजेक्शन लगाए जाने के बाद 27 मरीजों को कुछ समस्याएं सामने आई थीं. मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (Bundelkhand Medical College) में यह घटना हुई.

ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या क्यों नहीं बताती है सरकार?


दरअसल, कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, एमपी समेत लगभग सभी बड़े कोरोना प्रभावित राज्यों में ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों के मामले सामने आए हैं. दूषित ऑक्सीजन, स्टेरॉयड का ज्यादा सेवन जैसी कई वजहें ब्लैक फंगस की बताई जा रही हैं, लेकिन डॉक्टर और स्वास्थ्य एजेंसियां अभी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची हैं.

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ब्लैक फंगस मरीज की नाक, गले से लेकर मस्तिष्क तक पहुंच जाता है. कई संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए उनकी आंख तक निकालनी पड़ी है. कुछ ऐसे दुर्लभ मामले भी सामने आए हैं, जिसमें मरीज ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस से पीड़ित पाया गया है. गाजियाबाद में ऐसे ही एक मरीज की हाल ही में मौत हो गई.


मध्य प्रदेश सरकार ने ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की कमी को देखते हुए दवा उत्पादन का लाइसेंस एक कंपनी को दे दिया है.जबलपुर की एक कंपनी को म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के इलाज में इस्तेमाल इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन-बी बनाने का लाइसेंस जारी किया गया है. एक निजी दवा कंपनी ‘रेवा क्योर लाइफ साइंसेज' को 22 दिसंबर 2021 तक के लिए एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन के उत्पादन के लिए यह लाइसेंस जारी किया है.


जबलपुर में एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन बनने से सिर्फ जबलपुर ही नहीं, बल्कि समूचे महाकौशल, विंध्य और बुंदेलखंड में ब्लैक फंगस बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए यह दवा आसानी से और कम कीमत में उपलब्ध हो सकेगी. प्रदेश में इससे पहले केवल इंदौर की मार्डन लेबोरेटरी को ही यह इंजेक्शन बनाने का लाइसेंस हासिल था.

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