इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अशासकीय जूनियर हाई स्कूल स्तर के विद्यालयों में 17 अक्टूबर को होने जा रही सहायक अध्यापक व प्रधानाध्यापक भर्ती परीक्षा में उन अभ्यर्थियों को भी शामिल करने का निर्देश दिया है जिनके स्नातक में 50 प्रतिशत से कम अंक है।
दर्जनों अभ्यर्थियों ने इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी तथा परीक्षा में शामिल होने देने की अनुमति मांगी थी। सुरेंद्र कुमार पटेल, जगन्नाथ शुक्ला व कई अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर न्यायमूर्ति के.जे ठाकर और न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र की पीठ ने सुनवाई की।
याचीगण का पक्ष रख रहे अधिवक्ता का कहना था कि अशासकीय जूनियर हाई स्कूलों में प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापक भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में सिर्फ उन्हीं अभ्यर्थियों को आवेदन करने की अनुमति दी गई है जिनके स्नातक में 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा अंक है।
अधिवक्ता का कहना था कि एनसीटीई ने 2009 में जारी रेगुलेशन के तहत बीएड करने के लिए स्नातक में 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य किया था। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नीरज कुमार केस में इस नियम को सही नहीं माना तथा इसे अनुच्छेद 14 का उल्लंघन मानते हुए रद्द कर दिया था।
इसके बाद एनसीटीई ने 11 नवम्बर 2019 को अधिसूचना जारी कर कहा कि स्नातक में 50 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करने वाले भी बीएड कर सकते हैं। मांग की गई थी कि एनसीटीई की अधिसूचना के आलोक में उन अभ्यर्थियों को भी परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए जिनके 50 प्रतिशत से कम अंक है।
कोर्ट ने अंतरिम आदेश के तहत ऐसे अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल करने की अनुमति दी है। तथा प्रदेश सरकार व अन्य पक्षकारों से जवाब मांगा है । याचिका पर अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी।
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