धर्म-शिक्षा साथ-साथ:कुंडलपुर में बन सकती है बुंदेलखंड की दूसरी प्रतिभास्थली



देश की छटवीं और बुंदेलखंड की दूसरी प्रतिभा स्थली कुंडलपुर में स्थापित हो सकती है। इसकी रूपरेखा बनाने की प्रक्रिया चालू हो गई है। इसका संचालन भी जबलपुर में संचालित प्रतिभास्थली से होगा। इससे पहले यहां पर भव्य बिल्डिंग बनेगी और उसमें सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। आचार्यश्री विद्यासागर महाराज से संकेत मिलने के बाद प्रतिभास्थली बनाने को लेकर प्लानिंग की जा रही है। हालांकि अभी इसकी विधिवत घोषणा नहीं की गई है।अभी जबलपुर, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यांे में प्रतिभास्थली संचालित हैं। बुंदेलखंड में टीकमगढ़ के पपौराजी में प्रतिभास्थली पहले से संचालित हो रही है। इसके बाद अब दमोह के कुंडलपुर में प्रस्तावित की जा रही है। बता दें कि प्रतिभास्थली में गरीब वर्ग की बच्चियां पढ़ती हैं। समाज के ऐसे लोग अपनी बच्चियों के साथ उन गरीब बच्चियों को भी गोद लेकर उनकी शिक्षा-दीक्षा की जिम्मेदारी लेते हैं। यह प्रतिभास्थली समाज और राज्य के दानदाताओं की मदद से चल रही है। जबलपुर में संचालित प्रतिभास्थली के दानदाताओं में आईएएस अफसरों से लेकर बिजनेसमैन, उद्योगपति और कई व्यापारी भी हैं। इसी तरह हथकरघा के कार्यक्रम को प्रतिभास्थली के पाठ्यक्रम में स्थान दिया जाएगा। जिससे बच्चों को हथकरघा के बारे में जानकारी मिल सके। कुंडलपुर ट्रस्ट के अध्यक्ष संतोष सिंघई ने बताया कि आचार्यश्री विद्यासागर महाराज प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ बुंदेलखंड का पहला सौभाग्य टीकमगढ़ के अतिशय क्षेत्र पपौरा जी को मिला था। अब दूसरी प्रतिभा स्थली दमोह के कुंडलपुर में बन सकती है। इसको लेकर तैयारियां चल रहीं हैं।

यह है प्रतिभास्थली का उद्देश्य

प्रतिभास्थली में पढ़ाई के साथ संगीत, संस्कृति व संस्कारों की शिक्षा मिलती है। हिंदी से दूर भागने वाली पीढ़ी के बीच प्रतिभास्थली में पूरी शिक्षा मातृभाषा में ले सकेंगे। प्रतिभास्थली का उद्देश्य देश की बच्चियों की प्रतिभाओं को विकसित करना है। यहां सिर्फ व्यावसायिक पाठ्यक्रम की बात नहीं होती। प्रतिभास्थली का ध्येय वाक्य है, स्वस्थ तन, स्वस्थ मन, स्वस्थ धन, स्वस्थ विचार और स्वस्थ वतन। यहां की पूरी शिक्षा इन्हीं को ध्यान में रखकर दी जाती है।


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