सिवनी में दो आदिवासियों की मौत के बाद से सियासत गरमा गई है। सरकार की कार्रवाई के बीच भाजपा ने जांच के लिए अपना दल भेजा जो मॉब लिंचिंग में पहली बार गया है। दल रविवार को मृतकों के परिजनों से मिलने पहुंचा, लेकिन आदिवासी संगठनों के हंगामे के चलते एक साथ नहीं मिल सका। बाद में एक-एक सदस्य मिला। इस दौरान सरकार विरोधी नारे लगे।
लोगों ने कहा मामा बुलडोजर कब चलाओगे। सांसद संपतिया उइके को गौंगपा नेताओं ने बोलने नहीं दिया। भाजपा दल ने कहा, कांग्रेस लोगों को भड़का रही है। इससे पहले कांग्रेस दल को भी नाराज परिजनों ने वापस लौटा दिया था। इस बीच सोमवार को कांग्रेस के साथ आदिवासी संगठनों ने सिवनी बंद का आह्वान किया है।
आदिवासी संगठनों ने भी किया भाजपा का विरोध भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने रविवार को जांच के लिए नेताओं का दल सिवनी भेजा। इसमें भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धुर्वे, सांसद गजेंद्र पटेल, अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कलसिंह भावर, बैतूल सांसद दुर्गादास उईके, नत्थन शाह, प्रदेश महामंत्री विधायक हरिशंकर खटीक और राज्यसभा सांसद संपतिया उइके शामिल थे। दिनभर सिवनी में टीम को मृतकों और घायलों के रिश्तेदारों से मिलने के लिए मशक्कत करना पड़ी।
जयस-गौंगपा और कांग्रेस नेता विरोध कर रहे थे। इसके चलते सदस्य एक साथ नहीं जा सके। बाद में एक-एक कर मिल पाए। टीम ने रिश्तेदारों से पूछा कि शासन से किस तरह की मदद मिल रही है। परिजनों की नाराजगी सामने आई। पुलिस-प्रशासन की टीम मौके पर देर से पहुंची। दल ने बताया कि दोषियों के खिलाफ सरकार ने तत्काल एक्शन लेकर अपराधी पकड़े है। टीम घटनास्थल पर पहुंची। गांवों के ग्रामीणों से जानकारी ली। टीम अपनी रिपोर्ट 12 मई को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को सौंपेगी।
भाजपा तो अब सफाई देने सिवनी गई है : सिंह नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि सिवनी घटना की रिपोर्ट जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को देंगे। वे बाहर हैं। वहां लोगों के पास पूरे प्रमाण हैं, फोटो हैं कि बजरंग दल के लोग थे। उनके जिलाध्यक्ष के साथ फोटो भी हैं। हल्ला-गुल्ला मचा है तो भाजपा के लोग सफाई देने के लिए पहुंचे हैं। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तो पहले कहा है कि वे बजरंग दल के लोग नहीं हैं। क्या जरूरत है जनता को झूठ बोलने की। ज्यूडिशियल जांच की मांग की गई है।
कांग्रेस को मिले तथ्य पुलिस ने अपनी कार्रवाई में बजरंग दल नाम लिखा है।साजिश के तहत रात डेढ़ बजे घटना को अंजाम दिया गया। वहां उनके ट्रेनिंग शिविर चल रहे हैं। आतंक फैलाना और वसूली करना उनके काम हैं। शाम 7 बजे सो जाने वाले आदिवासियों को घर से घसीट कर निकाला और पीटा गया। आदिवासियों ने कहा है कि वे बड़ा देव (भगवान शंकर) और नंदी को मानने वाले हैं। गौं-मास तो खाते ही नहीं। वे ईष्ट देव हैं। पांच साल में आए प्रमुख मामले
नीमच, रायसेन और विदिशा में वर्ष 2019 में मोर चोरी की शंका में तीन घटनाएं हुईं। दो में मौतें हुईं।
धार के तिरला गांव में वर्ष 2020 में 6 लोगों को बच्चा चोरी में पीटा गया। एक की मौत हुई।
सतना के अमगार गांव में गौ-हत्या की शंका में दो युवक पीटे गए, जिसमें एक की मौत हो गई थी।
सिंगरौली में 2018 में एक बुजुर्ग महिला को बच्चा चोरी की शंका में भीड़ ने घेरकर मार डाला था।
वर्ष 2017 और 2018 में करीब सात घटनाएं हुई। एक में भोपाल में बच्चा चोरी के शक में पीटा था।
ग्वालियर में वर्ष 2021 में धरमपुरा गांव में पंचायत के सामने दो लोगों को भीड़ ने पीटकर मार डाला था।
साभार- भास्कर
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