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अयोध्या से चित्रकूट पहुंचा रामायण यात्रा:मंत्री ने फूलों से किया स्वागत रामायण यात्रा साधुओं ने जताई खुशी

 रामायण यात्रा अयोध्या से होते हुए प्रयागराज से सोमवार देर रात चित्रकूट पहुंची है। 600 श्रद्धालुओं को लेकर पहुंची ट्रेन का उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री अजीत सिंह पाल ने रामायण का स्वागत किया। चित्रकूट अध्यात्म और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए रेलवे मंत्रालय ने भारत गौरव रामायण यात्रा पर्यटक ट्रेन की शुरुआत की है।



रामायण यात्रा 21 जून को 18 दिनों के लिए दिल्ली से हरी झंडी दिखाकर रामायण यात्रा को रवाना किया गया था। जो ट्रेन प्रभु श्रीराम के जीवन से जुड़े देश के सभी स्थानों से होकर गुजरेगी। श्रद्धालुओं को उनकी निशानियों के दर्शन कराएगी, जो माता सीता के जन्म स्थान नेपाल के जनकपुर की यात्रा भी कराएग, जिसके चलते यह ट्रेन दिल्ली से होकर अयोध्या, बक्सर, सीतामढ़ी, जनकपुर, वाराणसी और प्रयागराज के बाद चित्रकूट पहुंची है।

उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री अजीत सिंह पाल ने इस रामायण यात्रा का स्वागत किया है। राज्य मंत्री ने श्रद्धालुओं पर फूल बरसा कर उनको रुद्राक्ष का माला पहनाते हुए स्वागत किया है। चित्रकूट के साधु-संतों ने भी प्रभु श्री राम की लीलाओं का बखान करते हुए उनकी नगरी पर आने का आभार जताया है। उनके रहने खाने का इंतजाम भी किया है। चित्रकूट में आज श्रद्धालु स्टे करने के बाद आज श्री राम की विभिन्न निशानियां के कल दर्शन करेंगे। उसके बाद आगे के लिए रवाना हो जाएंगे।

इसके बाद नासिक, हंपी, रामेश्वर, कांचीपुरम और भद्राचलम रामायण यात्रा पहुंचेगी। प्रभु श्रीराम और माता सीता के निशानों के दर्शन कराएगी। चित्रकूट पहुंचे श्रद्धालुओं का कहना है कि जिस तरीके से सरकार ने उनकी रामायण यात्रा का जगह-जगह स्वागत किया है और ट्रेन में जो सुविधाएं दी हैं। इसके सरकार को धन्यवाद दिया।

मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री अजीत सिंह पाल का कहना है कि सरकार उन्हें इस रामायण यात्रा का स्वागत करने के लिए भेजा है, जो उनके प्रमाण यात्रा में है। श्रद्धालुओं का फूलों से वर्षा कर उनका स्वागत किया है। सरकार का यह सराहनीय पहल है, जो श्रद्धालुओं को भगवान श्रीराम और माता जानकी से जुड़े सभी धार्मिक स्थलों का दर्शन कराने के लिए सरकार ने बीड़ा उठाया है। उनके लिए सभी प्रकार के इंतजाम किए हैं। जिससे श्रद्धालुओं को अपने यात्रा के दौरान किसी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो। जिससे देश में अध्यात्म और पर्यटक को बढ़ावा मिलेगा।



साभार- भास्कर 

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