गाजियाबाद में मिला मंकीपॉक्स का संदिग्ध केस:सात साल की बच्ची का सैंपल जांच के लिए भेजा गया, डीजी हेल्थ बोले- परेशान होने वाली बात नहीं

 गाजियाबाद में 7 साल की बच्ची में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने के बाद एहतियातन जांच के लिए उसका सैंपल लिया गया है। यह बच्ची खुजली से परेशान थी और इसके शरीर पर रैशेज भी पड़ रहे थे। उस बच्ची को स्वास्थ्य संबंधी कोई दूसरी समस्या नहीं है। न ही वह और न उसके कोई करीबी रिश्तेदार पिछले एक महीने के दौरान विदेश यात्रा पर गए हैं।


बच्ची के शरीर से लिए सैंपल जांच के लिए पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी (NIV) लैब में भेजे गए हैं, जहां से 24 घंटे में इसकी रिपोर्ट आएगी। डॉक्टरों ने बच्ची को होम आइसोलेशन में रखने की हिदायत दी है। उसके शरीर में दिख रहे ये लक्षण किसी अन्य बीमारी के भी हो सकते हैं, मगर सतर्कता बरतते हुए जांच करवाई जा रही है।


प्रदेश के डीजी हेल्थ डॉ. वेदव्रत सिंह ने बताया कि गाजियाबाद में दो बच्चों में खुजली की परेशानी के कारण शरीर पर रैशेज की समस्या देखी गई। दोनों बच्चे भाई बहन हैं। रैशेज पड़ने पर परिजन बच्चों को दिखाने के लिए नजदीक के प्राइवेट डॉक्टर के पास पहुंचे। जो कि आंख, नाक और गला (ENT) का एक्सपर्ट था। उसने बच्ची (7) के शरीर में मंकीपॉक्स के लक्षण बता दिए। फिलहाल बच्ची के सैंपल कलेक्ट करके जांच के लिए पुणे भेज दिए गए हैं। जल्द ही रिपोर्ट भी मिलने की उम्मीद है। फिलहाल पैनिक वाली कोई बात नहीं है।



ये तस्वीर यूपी के डीजी हेल्थ डॉ. वेदव्रत सिंह की है। उनका कहना है कि मंकीपॉक्स को लेकर सर्तकता बरती जा रही है। फिलहाल परेशान वाली कोई बात नहीं है।ये तस्वीर यूपी के डीजी हेल्थ डॉ. वेदव्रत सिंह की है। उनका कहना है कि मंकीपॉक्स को लेकर सर्तकता बरती जा रही है। फिलहाल परेशान वाली कोई बात नहीं है। मंकीपॉक्स से सबसे ज्यादा नौनिहालों को खतरा: डॉ. पियाली भट्टाचार्य

लखनऊ SGPGI की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने इस वायरस से सबसे ज्यादा बच्चों को खतरा बताया है। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने बताया कि बच्चों में यह बीमारी ज्यादा असर कर सकती हैं और उनके लिए घातक भी हो सकती है। खास तौर पर कम इम्युनिटी वाले बच्चों में और कुपोषित बच्चों में इसके गंभीर परिणाम आ सकते हैं। इसलिए बच्चों को लेकर लापरवाही नहीं बरतनी है।

21 दिनों के भीतर लौटकर आए लोगों की होगी स्क्रीनिंग उत्तर प्रदेश में मंकीपाक्स से प्रभावित देशों से बीते 21 दिनों के भीतर लौटकर आए लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी। अगर वह दूसरे देश में मंकी पाक्स से संक्रमित किसी मरीज के संपर्क में आए हैं और उनमें इस रोग के लक्षण हैं तो उन्हें तत्काल आइसोलेट कर दिया जाएगा। ऐसे लोगों के सैंपल जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी (एनआइवी) पुणे भेजे जाएंगे। संचारी रोग विभाग की ओर से विस्तृत गाइड लाइन जारी कर दी गई है। सभी एयरपोर्ट पर सतर्कता बढ़ा दी गई है। निगरानी कमेटियों को भी अलर्ट कर दिया गया है।



साभार- भास्कर 

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