प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर है। इस साल न तो बिजली दरें बढ़ेंगी और न ही स्लैब परिवर्तन होगा। इसके संकेत सोमवार को राज्य विद्युत नियामक आयोग की राज्य सलाहकार समिति की बैठक में सदस्यों के रुख से मिले। नियामक आयोग ने भी साफ किया है कि वह बिजली कंपनियों की अक्षमता का बोझ उपभोक्ताओं पर डालने के पक्ष में नहीं है।
साल दर साल दरें बढ़ाने के बजाय बिजली कंपनियों को घाटे से उबरने के लिए अपनी परफार्मेंस में सुधार पर ध्यान देना होगा। दिलचस्प बात यह रही कि बिजली कंपनियों ने सलाहकार समिति में भी स्लैब परिवर्तन प्रस्ताव के प्रस्तुतिकरण का प्रयास किया लेकिन कु छ सदस्यों के विरोध के चलते उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई।
नियामक आयोग ने 2022-23 की बिजली दरों पर जनसुनवाई की प्रक्रिया पूरी करने के बाद सोमवार को ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बड़ी संवैधानिक कमेटी राज्य सलाहकार समिति की बैठक में सदस्यों से रायशुमारी की। नियामक आयोग के अध्यक्ष आर.पी. सिंह की अध्यक्षता में हुई सलाहकार समिति की बैठक में आयोग के निदेशक टैरिफ डॉ. अमित भार्गव ने बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर), ट्रू-अप तथा बिजली दर से संबंधित वित्तीय मानकों पर प्रस्तुतिकरण किया।
इसके बाद सदस्यों ने इस साल की दरों पर अपनी-अपनी राय रखी। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 22,045 करोड़ रुपये के एवज में अगले 5 वर्षों तक हर साल बिजली दरों में सात प्रतिशत की कमी की वकालत की।
उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों द्वारा मामला अपीलेट ट्रिब्यूनल में होने की बात कहना गलत है क्योंकि ट्रिब्यूनल ने न तो स्थगनादेश दिया है और न ही कोई अंतरिम आदेश। वर्मा ने नोएडा पावर कंपनी लि. (एनपीसीएल) के ऊपर ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के उपभोक्ताओं के निकल रहे 1176 करोड़ रुपये का रेगुलेटरी लाभ बिजली दरों में कमी के रूप में देने की मांग भी उठाई।
डॉ. भरतराज सिंह समेत कुछ और सदस्यों ने उनका समर्थन किया। उन्होंने स्लैब परिवर्तन के प्रस्तुतिकरण का यह कहते हुए विरोध किया कि चूंकि जनसुनवाई में आयोग चेयरमैन ने इसे देखने से ही मना कर दिया गया इसलिए बैठक में इस पर चर्चा किया जाना जनता के साथ धोखा होगा। इसे खारिज किया जाना चाहिए। कई सदस्यों ने इसका समर्थन किया। वर्मा ने ट्रांसमिशन टैरिफ बढ़ाने का भी विरोध किया।
प्रमुख सचिव ऊर्जा एम. देवराज ने आयोग से अनुरोध किया कि रिवैम्पड योजना में केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित वितरण हानियां स्वीकार कर ली जाएं जिस पर आयोग के अध्यक्ष ने आपत्ति करते हुए कहा कि बिजनेस पलान में अनुमोदित हानियों के आधार पर ही आयोग कार्यवाही करेगा। किसी की अक्षमता का खामियाजा प्रदेश के उपभोक्ता नहीं भुगतेंगे।
प्रदेश में ग्रीन टैरिफ लागू करने के मुददे पर कई सदस्यों ने सुझाव दिया कि इस पर बाद में विचार किया जाना चाहिए। बैठक में आयोग के सदस्य कौशल किशोर शर्मा, विनोद कुमार श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव ऊर्जा एम. देवराज, पावर कारपोरेशन के एमडी पंकज कुमार, मध्यांचल वितरण निगम के एमडी, नेडा के निदेशक, मेट्रो रेल के निदेशक, कृषि एवं खाद्य विभाग के अधिकारी आईआईए समेत अन्य सदस्य मौजूद थे।
उद्योगों की दर कम करें वरना पलायन होगा
इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन (आईआईए) के प्रतिनिधि ने कहा यूपी में उद्योगों की बिजली दर काफी ज्यादा है। इसमें कमी किया जाना जरूरी है अन्यथा प्रदेश से उद्योगों के पलायन की स्थिति आ जाएगी। उन्होंने उदय योजना के कुछ आंकड़े भी रखे जिस पर आयोग ने कहा कि वह इसे अपने तरीके से देखेगा।
आईआईए की ओर से क्रास सब्सिडी का मुददा उठाते हुए सभी पर एक समान टैरिफ लागू करने की बात कही जिस पर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने ऐतराज करते हुए कहा कि किसानों को सस्ती बिजली मिलने का नैतिक अधिकार है। उद्योगों और किसानों में काफी अंतर है। क्रास सब्सिडी जारी रहनी चाहिए। उपभोक्ता परिषद ने पावर कार्पोरशन प्रबंधन द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की भी तारीफ की। पावर कार्पोरेशन की ओर से रेगुलेटरी एसेट के रूप में निकाली गई सरप्लस धनराशि का भी विरोध किया गया।
विभागीय कर्मियों के घर पर लगना चाहिए मीटर
नियामक आयोग के सदस्य विनोद कुमार श्रीवास्तव ने विभागीय कार्मियों के घर में मीटर लगाने का मुददा उठाते हुए कहा कि बडे़ पैमाने पर बिजली का दुरुपयोग हो रहा है। अमर उजाला में छपी एक खबर की कतरत दिखाते उन्होंने कहा कि 10,000 रुपये वेतन पाने वाला संविदा कर्मी 20 हजार की बिजली चोरी करते पकड़ा गया। उपभोक्ता परिषद ने आयोग के अध्यक्ष से इस पर गंभीरता से विचार करने का अनुरोध करते हुए कहा कि मामला आयोग सदस्य द्वारा उठाया गया है इसलिए 15 गुना तक पेनल्टी पर विचार किया जाए। इससे स्वत: स्थिति में बदलाव होगा।
टोरेंट पावर का ऑडिट कराया जाए उपभोक्ता परिषद ने टोरेंट पावर का मुद्दा उठाते हुए कहा पिछली सरकार में यह अनुबंध बल्क सप्लाई से कम टैरिफ पर दिया गया था जो एक बडा घोटाला है। इसके पैरामीटर पर पुनर्विचार होना चाहिए। टोरेंट पावर आंकडों को छिपा कर लाभ कमा रहा है। इसका आंतरिक ऑडिट कराया जाना चाहिए। आयोग चेयरमैन ने प्रमुख सचिव ऊर्जा से कहा कि इस मामले को गंभीरता से देखें। प्रमुख सचिव ऊर्जा ने कहा मामला विधानसभा की एक कमेटी में भी आया है। इस पर सरकार उचित निर्णय करेगी।
ठगी पर रोक लगाएं एक सदस्य डॉ. विजयराज सिंह ने साइबर ठगों द्वारा एसएमएस भेजकर उपभोक्ताओं से ठगी किए जाने का मुददा उठाया। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि पूरे देश में ठगी हो रही है। इसेक रोका जाना चाहिये। आयोग चेयरमैन ने प्रमुख सचिव ऊर्जा को इसका संज्ञान लेने को कहा।
लाइफलाइन उपभोक्ताओं से वसूली गई ज्यादा धनराशि वापस होगी बैठक में 1.20 करोड़ लाइफ लाइन उपभोक्ताओं से ज्यादा बिल वसूली का मुद्दा भी उठा। इस पर आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि जनसुनवाई में इन उपभोक्ताओं को छूट देने और ज्यादा वसूल की गई धनराशि के समायोजन की मांग उठी है। यह कैसे किया जाएगा? प्रमख सचिव ऊर्जा ने कहा कि इसका परीक्षण कराया जाएगा। जरूरत पड़ी तो छूट दी जाएगी या अतिरिक्त राशि आगे के बिलों में समायोजन किया जाएगा।
साभार- अमर उजाला
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