बच्चों को विदेशों में मिला मां का आंचल, खिलखिला रहा बचपन: 18 बच्चे फ्रांस, बैल्जियम, इटली और अमरीका जैसे विकसित देशों के संपन्न परिवारों के बने सदस्य
खिलखिला रहा बचपन
जिन नवजातों को कलंक समझ झाड़ियों और कचरे के ढेर में फेंक दिया, जिन्हें न तो मां की ममता मिली और ना ही आंचल वे आज सात समंदर पार संपन्न परिवारों की सूनी गोद को आबाद कर कर रहे हैं। ऐसे 18 बच्चे दुनिया के अलग-अलग देश में विदेशी मां की गोद में पल रहे हैं।
पिछले कुछ सालों में दमोह जिले के विभिन्न स्थानों पर 45 बच्चे लावारिस हालत में मिले. उन्हें जन्म देते ही उनके अपनों ने अनाथ कर दिया था। इनके भाग्य ने जोर मारा और यही बच्चे कई देशों के नामी उद्योगपति, डॉक्टर और प्रशासनिक आफसरों के आंगन में खेल रहे हैं। इनमें से 18 बच्चों में 6 बच्चे यूएसए, 5 इटली, 1 बेल्जियम, 4 स्पेन, 1 फ्रांस, 1 कनाडा में हैं। अब किशोर अवस्था की दहलीज तक पहुंच चुके हैं। वहीं 26 बच्चे देश के विभिन्न राज्यों आंध्रप्रदेश में 1, दिल्ली 1, पंजाब 1, यूपी 1, मुंबई 1, हैदराबाद 1, गुजरात में 1 और 18 मप्र में गोद लिए गए हैं।
इंसानियत का पाठ पढ़ाया
बच्चे जाति-धर्म के बंधन से परे होते हैं। इन्हें बालभवन में इंसानियत का पाठ पढ़ाया जाता है। जिस धर्म के माता-पिता इन्हें गोद लेते हैं यह लगभग वही जाति-धर्म अपना लेते हैं। इन बच्चों को हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी धर्म के लोग गोद ले चुके हैं। दमोह के एक जैन और ब्राह्मण परिवार ने भी बालभवन से बच्चे गोद लिए हैं।
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