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अब डीपीसी देंगे स्कूलों को मान्यता डीईओ से छिने अधिकार

 अब डीपीसी देंगे स्कूलों को मान्यता डीईओ से छिने अधिकार

दतिया। राज्य सरकार ने निजी प्राइमरी - मिडिल स्कूलों को मान्यता देने का अधिकार जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) से छीन लिए हैं। अब यह जिम्मेदारी जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) निभाएंगे। इसके लिए सरकार ने निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई)के नियम बदल दिए हैं।



सरकार ने मान्यता विलंब शुल्क भी 10 हजार रुपए से घटाकर पांच हजार रुपए कर दिया है। उल्लेखनीय है कि जिले में 1576 निजी प्राइमरी और 27 हजार 184 मिडिल स्कूल हैं, जिन्हें हर तीन साल में मान्यता का नवीनीकरण करना पड़ता है। इन स्कूलों में प्रायमरी तक 1576 तथा मिडिल में 27 हजार 184 छात्र - छात्राएं पंजीकृत हैं।इस तरह बदल जाएंगे नियम

नए नियमों के अनुसार जिला परियोजना समन्वयक को अब 30 दिन में मान्यता प्रकरण का अनिवार्य रूप से निराकरण करना होगा। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो पोर्टल स्वत: ही यह प्रकरण कलेक्टर को भेज देगा। इसे डीपीसी की अनुशंसा मानते हुए कलेक्टर निरीक्षण कराएंगे और जांच में मापदंड पूरे न होने पर मान्यता निरस्त कर सकेंगे। वहीं किन्हीं कारणों से डीपीसी मान्यता नहीं देते हैं, तो स्कूल प्रबंधक कलेक्टर के समक्ष 30 दिन में प्रथम अपील प्रस्तुत कर सकेंगे और 30 दिन में कलेक्टर को उसका निराकरण करना होगा। ऐसा नहीं होता है तो द्वितीय अपील आयुक्त या संचालक राज्य शिक्षा केंद्र के समक्ष करनी होगी। उनका निर्णय अंतिम और बंधनकारी होगा।शासन ने बढ़ाई शुल्क

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