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बागेश्वर धाम की पड़ताल:200 वर्ग फीट जमीन का किराया 1 लाख, पार्किंग का ठेका धीरेंद्र शास्त्री के भाई को; रोजाना कमाई 50 हजार से एक लाख

 मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके का जिला छतरपुर में एक छाेटा सा गांव है गढ़ा। यह गांव बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के कारण सुर्खियाें में है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कई बार कह चुके हैं कि वे किसी से एक रुपया भी दक्षिणा नहीं लेते हैं। इसके बावजूद वे करोड़ों रुपए से कैंसर अस्पताल, संस्कृत महाविद्यालय बनवाने की घाेषणा कर चुके हैं। 121 गरीब कन्याओं की नि:शुल्क शादी भी करवाएंगे। भंडारा भी कराते हैं। सवाल है कि इन सबके लिए पैसा कहां से आता है। दैनिक भास्कर की टीम ने बागेश्वर धाम पहुंचकर इसकी पड़ताल की।



हाइवे से 5 किमी भीतर बागेश्वर धाम जाने वाले रास्ते पर जैसे-जैसे आप आगे बढ़ेंगे, यहां का ‘अर्थतंत्र’ समझ जाएंगे। दो-दो कमरों के मकानों में यहां होम स्टे के बोर्ड लगे हैं। खेतों में 200 वर्ग फीट जमीन पर लगे टेंट धर्मशाला का आकार ले चुके हैं। मंदिर के आधा किमी पहले से प्रसाद, फूल-मालाएं और खाने-पीने के सामान की दुकानें लगी हैं। खेतों में टेंट लगे हैं। 10 गुणा 20 फीट की इन दुकानों का किराया 60 हजार से एक लाख रुपए प्रति महीने है।

200 रु. का श्रीयंत्र 5100 रु. का, 51 हजार यज्ञ कराने की फीस

मंदिर के रास्ते में काउंटर लगा है। यहां 5100 रुपए में श्रीयंत्र मिलता है। दावा है कि इस यंत्र से गरीबी नहीं आती। इसकी लागत 200 रु. है। ढेर सारी दान पेटियां रखी हुई हैं, जहां लोग नकद डालते हैं। दान के लिए ऑनलाइन पेमेंट के लिए स्कैन कोड भी लगे हैं। एचडीएफसी बैंक का अकाउंट नंबर और आईएफएससी कोड भी लिख रखा है।

सोशल मीडिया से भी लाखों रुपए की कमाई, क्याेंकि हर महीने 13 करोड़ से ज्यादा व्यूज।

कन्या विवाह के लिए मदद की अपील के साथ दान पेटी रखी है।

कन्या विवाह के लिए मदद की अपील के साथ दान पेटी रखी है।

यज्ञ में यजमान बनने के लिए 21 से 51 हजार रु. में रजिस्ट्रेशन।

25 लाख भक्त चढ़ाते हैं 7 करोड़ के नारियल। एक नारियल 30 रु. में।

औसतन 25 लाख लोग महीने में यहां पहुंचते हैं।

33 लाख में चचेरे भाई ने ठेका लिया, रोज 50 हजार से ज्यादा की वसूली

रोजाना 500 से ज्यादा ऑटो और ई रिक्शा चलते हैं। किराया 20 रु. प्रति सवारी है। हर फेरे पर ऑटो वालों को पार्किंग चार्ज के नाम पर 20 रु. देने पड़ते हैं। 10 फेरे लगाता है, ताे उसे 200 रु. देने पड़ते हैं। पार्किंग से रोज 50 हजार से एक लाख रु. तक की कमाई। बाबा के चचेरे भाई लोकेश गर्ग ने 33.18 लाख रु. से पार्किंग का ठेका लिया है।

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