Datia News: फरवरी में ही अप्रैल जैसी गर्मी पड़ने लगी है। इसका असर रबी फसलों पर पड़ रहा है। नतीजतन फसल सूखने और जल्दी पकने जैसी स्थिति पैदा हो गई है। खेतों में नमी बनाए रखने के लिए किसानों को फसल बार-बार सींचना पड़ रही है। तापमान में अचानक बढ़ोतरी ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 32 डिसे से पार पहुंच गया। दिन में निकल रही तेज धूप का असर गेहूं, चना, सरसों की फसलों पर पड़ रहा है। गर्मी के कारण महू कीट का प्रकोप भी शुरू हो गया है।
पिछले माह तक मौसम अनुकूल होने से किसान रबी फसलों के बेहतर उत्पादन को लेकर आश्वस्त थे। गेहूं का उत्पादन अच्छा होने की उम्मीदों को एकाएक तापमान में आई तेजी ने झटका दे दिया है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि मौसम का तेवर हफ्ते भर भी बरकरार रहा तो देर से बोई गई रबी फसलों को क्षति हो सकती है। दिसंबर में लगी गेहूं की फसल में अभी बाली निकलने और दाने पुष्ट होने की ही प्रक्रिया चल रही है।
ऐसे में फसलों की उत्पादकता पर 20 से 25 फीसद तक असर पड़ सकता है। उनके दाने छोटे रह सकते हैं। हालांकि अगात बोई गई फसलों को कोई नुकसान नहीं होगा। राहत की बात यह है कि अभी रात के तापमान में ज्यादा उछाल नहीं है। फरवरी में ही बने गर्मी जैसे हालातइस साल गर्मी ने ऐसा लग रहा है कि समय से पहले आमद दे दी है। गर्मी की तल्खी बढ़ने के कारण लोगों की सेहत पर विपरीत असर पड़ रहा है तो फसलों को भी नुकसान होगा। लगातार बढ़ रही गर्मी के कारण समय से पहले गेहूं की फसल पक जाएगी और फसल पर सिंचाई का खर्च भी बढ़ जाएगा।
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