Banner

बांदाःचार दशक गुजर जाने के बाद भी, सीवर लाइन परियोजना अधर में लटकी

 बांदा, चित्रकूट धाम मंडल मुख्यालय बांदा में चार दशक पहले सीवर लाइन परियोजना धरातल पर उतारी गई लेकिन अभी भी यह परियोजना पूरी नहीं हो पाई है। अब विभाग बजट का इंतजार कर रहा है। लंबे अरसे से अधर में लटकी इस परियोजना की लागत लगातार बढ़ती जा रही है। जिससे इस परियोजना के शुरू होने पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है।



इस परियोजना की शहर में शुरुआत 1979 में हुई थी। यह परियोजना स्वच्छता से जुड़ी हुई है। इसके अंतर्गत शहर की नालियों का गंदा पानी और घरों के शौचालयों का कनेक्शन सीवर लाइन से किया जाना था। नालियों का गंदा पानी और शौचालयों का मल सीवर लाइन के माध्यम से कनवारा रोड पर स्थित ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाना था। जहां पर शोधन यंत्र के माध्यम से पानी को साफ करके सिंचाई के उपयोग लायक बनाया जाना था। लेकिन विभाग के ढुलमुल रवैया के कारण यह परियोजना 40 वर्ष बाद भी पूरी नहीं हो पाई। जिसके कारण इसकी लागत में इजाफा होता चला गया।

परियोजना के अंतर्गत कैलाशपुरी, बलखंडी नाका, पद्माकर चौराहा, बाकरगंज, कटरा, जेल रोड आदि मोहल्लों में अंडर ग्राउंड सीवर लाइन बिछाई जा चुकी है। साथ ही शहर से लगभग 5 किलोमीटर दूर कनवारा रोड में ऑक्सीडेशन पाउंड वा ट्रीटमेंट प्लांट भी बना दिया गया है। इस बीच बस 2019 में रेलवे अंडर ब्रिज बनने से क्योटरा रेलवे क्रॉसिंग की मेन राइजिंग टूट गई थी। जिससे 3 वर्ष तक काम रुका रहा। अब विभाग का कहना है कि इसे पिछले वर्ष ठीक कर दिया गया है।

इस परियोजना को चालू करने के लिए विभाग ने संशोधित स्टीमेट बनाकर भेजा है। जिसमें 62 करोड़ की जरूरत बताई गई है। शहर के 1 दर्जन से ज्यादा मोहल्लों में अंडर ग्राउंड सीवर लाइन बिछ जाने के बाद भी अभी तक न किसी घर से शौचालय का कनेक्शन किया गया और न ही प्लांट तक नालियों का पानी पहुंच पाया। हालांकि विभाग दावा कर रहा है कि कटरा जोन की  लाइन से लोगों के शौचालय के कनेक्शन जोड़ दिए गए हैं।

इस बारे में जल निगम सोलहवीं शाखा बांदा के अधिशासी अभियंता गौरव चौधरी का कहना है कि सीवर लाइन को चालू करने के लिए 62 करोड बजट की जरूरत है। अब इस परियोजना को अमृत योजना -2 में शामिल कर शासन को प्रस्ताव भेजकर बजट की मांग की गई है। बजट मिलते ही काम चालू कराया जाएगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ