बांदा, बुंदेलखंड के जनपद बांदा में कृषि विश्वविद्यालय किसानों को नई तकनीक से समृद्ध बना रहा है। विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग ने नेचुरल वेंटीलेटर पाली हाउस तकनीक से टमाटर की नई प्रजाति विकसित की है। जिसके पौधे अंगूर की बेल की तरह होते हैं और इसमें 5 से 10 किलो तक टमाटर फलते हैं। इस नई तकनीक को अपनाकर किसानों ने टमाटर उगाना शुरू कर दिया है।
इस समय जो किसान टमाटर की खेती करते हैं। उन पौधों में ज्यादा से ज्यादा 2 किलो टमाटर फलते हैं। जबकि नेचुरल वेंटीलेटर पालीहाउस तकनीक के तहत खेती करने से एक पौधे से 5 से 10 किलो टमाटर पैदा किया जा रहा है। एक पौधे से इतनी बड़ी तादाद में टमाटर की पैदावारी प्रदेश में भी कहीं नहीं होती है। लेकिन यह कमाल कृषि विश्वविद्यालय ने कर दिखाया है।
कृषि विज्ञान विभाग ने कृषि विश्वविद्यालय में ही आधा दर्जन पाली हाउस बनाए हैं। एक पाली हाउस 200 स्क्वायर मीटर में बना है। इनमें टमाटर के पौधों को अंगूर की बेल की तरह चढाया गया है। पौधे की लंबाई 12 से 15 फीट है। इनमें फलने वाले टमाटर अंगूर की तरह गुच्छे के गुच्छे लगे हुए हैं। एक पौध में लगभग 5 से 10 किलो तक टमाटर निकल रहे हैं। बेल ऊपर चढ़ने से नीचे की जमीन खाली रहती है, इसमें अन्य सब्जियां भी उगाई जा रही हैं।
इस बारे में सब्जी विज्ञान विभाग के प्राध्यापक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि पाली हाउस में एनएस 4266 प्रजाति के टमाटर उपजाए जा रहे हैं। ज्यादातर किसान किनारे की जमीन छोड़ देते हैं। छोड़ी हुई जमीन पर एक बिड बनाकर अर्धचंद्राकार आकार में टमाटर के पौधों को अंगूर की बेल की तरह चढ़ा सकते हैं। इसके नीचे की खाली जमीन पर अन्य सब्जियां उगाई जा सकती हैं। इस तकनीक से खेती करने पर उत्पादन करने के साथ आमदनी भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में टमाटर उत्पादन की इस तकनीक से बुंदेलखंड के 5 जनपदों बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन और ललितपुर के किसान अपना रहे हैं। उन्होंने इस तकनीक पर खेती करना शुरू कर दिया है।
उन्होंने यह भी बताया कि पाली हाउस बनवाने के लिए सरकार द्वारा किसानों को 50 से 60 फ़ीसदी तक अनुदान मिलता है। किसान अनुदान का लाभ लेकर अपने घर या जमीन में पाली हाउस बनाकर नई तकनीक से सब्जियों की खेती कर सकते हैं।
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