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Jhansi News: महंगी होती जा रही खेती...लागत कम करो सरकार

 झांसी। बुंदेलखंड के किसान सूबे के बजट से बहुत सारी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। किसानोें का कहना है लागत लगातार बढ़ने से खेती घाटे का सौदा बन चुकी है। ऐसे में अगर सरकार बजट में खेती की लागत घटाने का प्रबंध करे तब जाकर बात बने। उनकी मांग है कि सरकार बीज, खाद समेत किसानों के लिए खास तौर से डीजल एवं बिजली के दाम कम करे।



बुंदेलखंड (झांसी, ललितपुर एवं उरई) में उड़द, मूंग, मूंगफली, गेहूं, चना एवं मटर का सर्वाधिक उत्पादन होता है। तीनों जनपदों में खरीफ एवं रबी सीजन में हर साल करीब 1500 हजार हेक्टेयर में बुवाई होती है। करीब आठ लाख किसान खेती-किसानी पर निर्भर हैं लेकिन, उत्पादन लागत अधिक होने से अधिकांश किसानों को कोई बचत नहीं होती। फसल बेचने के बाद भी वह कर्ज में डूबे रहते हैं।

इस रबी सीजन में सर्वाधिक बुवाई गेहूं की हुई है। यहां पांच बार सिंचाई करने की वजह से गेहूं की लागत करीब 30-35 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर आती है। इसमें खेत का किराया एवं किसानों के श्रम का मूल्य शामिल नहीं है। वहीं, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गेहूं की औसत उत्पादकता 18.86 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। गेहूं की एमएसपी 2015 रुपये प्रति क्विंटल तय है। इस तरह एमएसपी पर गेहूं बेचने वाले किसान भी महज 39-40 हजार ही कमा पाते हैं।

लागत अधिक होती है, उसके मुकाबले किसानोें को पैसा नहीं मिलता। कई बार खेती बीच में खराब हो जाती है। इससे भी किसानों को काफी नुकसान होता है।

- अविनाश भार्गव

फसल की लागत कम करने के लिए खाद, बीज आदि के दाम कम किए जाने चाहिए। इससे किसान कर्ज के जाल से बाहर निकल सकेगा।

- अमित पांडेय

फसल लगाने पर फायदा नहीं होता। लागत बहुत अधिक हो जाती है। उपज बेचने की भी सुविधा नहीं है। व्यापारियों के हाथ में ही औने-पौने दाम पर बेचनी पड़ती है।

- रामनरेश बिंद

खाद, बीज के साथ ही सरकार किसानों के लिए डीजल एवं बिजली के दाम मेें भी कटौती करे। सम्मान निधि को भी बढ़ाया जाना चाहिए।

- राजेश कुशवाहा

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