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49 साल पहले झांसी से अलग होकर ललितपुर बना था जिला, आज भी पानी और पलायन बना है समस्या

 1 मार्च 1974 को झांसी से अलग होने के बाद ललितपुर को हाईवे, मेडिकल कॉलेज, सोलर पावर प्लांट और हवाई अड्डे की मिली बड़ी सौगात।

सुंदर बांध और प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध ललितपुर जनपद 1 मार्च को अपने 49 वर्ष पूरे कर रहा है। इस लंबे सफर में जनपद को कई बड़ी योजनाओं की सौगात मिली तो दूसरी ओर पुरानी समस्याओं से आज भी जूझ रहा है। बंटवारे के दौरान खेत खलिहानों में सिमटा ललितपुर आज अपनी बड़ी-बड़ी इमारतों में तब्दील हो चुका है।



शहरीकरण को बढ़ावा मिला

झांसी से अलग होने के बाद ललितपुर में शहरीकरण को बढ़ावा मिला है। हाईवे, मेडिकल कॉलेज, हवाई अड्डा, सोलर पावर प्लांट और कई डिग्री कॉलेजों की सौगात मिली है। जिला बनने के बाद यहां कई बांध परियोजनाएं निर्मित कराई गई हैं।

कई ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थल है

ललितपुर प्राचीन आस्था का केंद्र माना जाता है। यहां साइफन प्रणाली से सुसज्जित गोविंद सागर बांध, राजघाट बांध, माताटीला बांध, गौतम बुद्ध से लेकर सम्राट अशोक तक के पहचान चिन्ह मौजूद हैं। देवगढ़, पवागिरी, देवा माता, नीलकंठेश्वर, मुचकुंद गुफा, रणछोड़ मंदिर, मानसरोवर, महावीर वन्य जीव अभ्यारण। इसके अलावा कई प्राचीन किले एवं मंदिर मौजूद हैं। जो कि पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

बड़ी मात्रा में है माइंस

करीब 5039 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले इस जनपद ने माइंस के क्षेत्र में अपना मान बढ़ाया है। महरौनी में मौजूद रॉक फास्फेट, तालबेहट और मडावरा में सोना, हीरा, जिंक समेत कई अन्य खनिज भंडार होने से शासन स्तर पर जिले की अच्छी पहचान है।

बेरोजगारी और पलायन बड़ी समस्या है

विद्यांचल पहाड़ी की तलहटी में बसे इस सुंदर जिले में आज भी सबसे बड़ी समस्याएं बेरोजगारी, पलायन और पानी बना हुआ है। कई सरकारें आई बड़े-बड़े चुनावी वादे हुए। लेकिन जिस रफ्तार से काम धरातल पर दिखना चाहिए था वह नहीं दिखा। जनपद में कई ग्रामीण इलाके आज भी ऐसे हैं जहां लोगों को अपनी मंजिल तक कच्चे रास्ते से सफर तय करना पड़ता है। इंडस्ट्री के मामले में ललितपुर बहुत पिछड़ा हुआ एरिया है जिसकी वजह से लोग पलायन करने को मजबूर हैं।

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