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नोहटा में स्थित है 11वीं शताब्दी का अनोखा शिव मंदिर, जहां है चिमटे चढ़ाने का रिवाज

MP News: नोहटा में स्थित है 11वीं शताब्दी का अनोखा शिव मंदिर, जहां है चिमटे चढ़ाने का रिवाज

दमोह: दमोह जिला मुख्यालय से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर नोहटा ग्राम में नोहलेश्वर शिव मंदिर स्थित है.जहां भगवान शिव विराजमान है इसकी गिनती बुंदेलखंड के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण मंदिरों में होती है.बताया जाता है कि इसे 11वीं शताब्दी में स्थापित किया गया था.मन्दिर के चारों ओर खजुराहो की तरह पत्थरों पर नक्काशी नजर आती है.ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण चंदेल वंश के राजाओं ने करवाया था.

वैसे तो दमोह जिले की जबेरा तहसील इतिहास के दो प्रमुख कालखंडों के चिन्ह उल्लेख करती है.प्राचीनकाल से चिमटे चढ़ाये जाने की परम्परासन 1892– 94 में हेनरी कूसेस नामक इतिहासकार नोहटा ग्राम के शिव मंदिर को प्रकाश में लाए.जिसका नामकरण रानी नोहला के नाम पर हुआ था. यह शिव मंदिर पत्थर के चबूतरे पर बना हुआ है, जो भारतीय स्थापत्यकला के श्रेष्ठ उदाहरणों में एक है.इस शिव मंदिर में प्राचीनकाल से चिमटे चढ़ाये जाने की परम्परा चली आ रही है. जहां आज भी चिमटे चढ़ाए जाते हैं.

इसके पीछे क्या रहस्य है यह बात किसी को पता नहीं है. मंदिर में धन की देवी मां लक्ष्मी जी की आठ प्रतिमाए उल्लेखित की गई है. वहीं मन्दिर के चारों ओर सुरम्य पर्वत श्रृंखला है.अमर वीरांगना रानी दुर्गावती का महल भी इसकी ऐतिहासिक धरती का सीमांकन करता है.प्राकृतिक वन्य जीव संरक्षण को आधार देने के लिए रानी दुर्गावती ने एक वन्य जीव अभ्यारण्य भी स्थापित किया था जो आज भी है.

पुरातत्व विभाग के अधिकारी सुरेंद्र चौरसिया के मुताबिक नोहटा में बना शिव मंदिर कल्चुरी शासकों के समय का है.युवराज देव प्रथम की पत्नी नोहला देवी ने ऋशिस्ट सेवाचारियो के मार्गदर्शन में यहां शिव मंदिर की स्थापना की थी. पूरे दमोह में शिव और वैष्णो धर्म मतालम्बियों की प्रतिमाओं के पाए जाने के कारण ऐसा माना जाता रहा है कि इस क्षेत्र में शिव धर्म को मानने वाले लोग अधिकतर रहा करते थे.ऐसा माना जाता है कि कल्चुरी शासक युवराज देव के कार्यकाल में इस शिव मंदिर का निर्माण हुआ था.यह एएसआई द्वारा संरक्षित इमारतों में से एक है.

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