Banner

क्या बुंदेलखंड को पृथक राज्य बनाया जाना चाहिए?


 

क्या बुंदेलखंड को पृथक राज्य बनाया जाना चाहिए? #FaislaAapka

- बनाया जाना चाहिए  

1. बुंदेलखंड को वास्तविकता में वापस लाना जरुरी-

1956 से पहले बुंदेलखंड एक राज्य था, लेकिन फिर इसे मध्य भारत के साथ मध्य प्रदेश बनाया गया और बचा हुआ उत्तर प्रदेश को दे दिया गया. 31 अक्टूबर 1956 को राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर बुंदेलखंड राज्य को समाप्त करके, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच विभाजित कर दिया गया. अभी भी कोई यह नहीं बता सकता है कि इसे 1956 में अलग क्यों किया गया था या इसे किस आधार पर अलग किया गया था। बुंदेलखंड के विकास की जरूरत को सरकारें इतने लंबे समय से नजरंदाज कर रही हैं और इस क्षेत्र के लोग पिछड़ा कहलाने के लिए मजबूर हैं.

2. छोटा राज्य बेहतर विकास

क्योंकि छोटे राज्य को चलाना आसान होता है ठीक वैसे ही अगर बुंदेलखंड राज्य बना तो  बुंदेलखंड के विकास को भी पंख लग सकते हैं. उदहारण के तौर पर हम उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ जैसे states को भी देख सकते है, जो छोटे राज्य होने के साथ-साथ अपने मूल राज्यों से बेहतर परफॉर्म कर रहे हैं. प्रशासन को सुशासन से चलने में मदद मिलेगी, लोगों तक पर्याप्त संसाधन पहुंच पाएंगे और सरकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया जा सकेगा. इसी प्रकार बुंदेलखंड बनने के भी अन्य कई सामाजिक फायदे हैं, जिनको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

3. नए राज्य का निर्माण को नई बात नहीं-      

सवाल तो बनता है कि जब तेलंगाना जैसे छोटे राज्य को स्थानीय आबादी की मांग पर बनाया जा सकता है तो बुंदेलखंड को क्यों नहीं? राज्य सरकारें उ.प्र. एवं म.प्र. बुंदेलखंड के गरीब और पिछड़े क्षेत्र पर कभी अपना ध्यान नहीं दे पाती क्योंकि यूपी और एमपी दोनों प्रभावी रूप से प्रशासित होने के लिए बहुत बड़े हैं। बुंदेलखंड राज्य बनाने के लिए यूपी और एमपी दोनों राज्यों को विभाजित करने से छोटे क्षेत्रों के लोगों के बारे में सरकार को बेहतर दृश्यता मिलेगी। बुंदेलखंड राज्य निर्माण बुंदेलखंड क्षेत्र के प्रभावी प्रशासन में मदद करेगा और क्षेत्र के विकास में तेजी लाने में मदद करेगा।

4. कम होगा पलायन

एक पृथक व स्वतंत्र राज्य होगा तो वहां बेहतर उद्योग होंगें, सैकड़ों कारखाने लगेंगे, इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा, इससे रोजगार के नए अवसर जनरेट होंगे, बुंदेलखंड से पलायन रोकने के लिए हमें इसकी ही जरुरत है. लोगों के पास नौकरी होगी, खुद का कोई व्यवसाय होगा, अच्छे स्कूल, अस्पताल होंगे तो कोई अपना घर जमीन छोड़कर पराये शहर में बसने पर मजबूर होगा.


क्या बुंदेलखंड 'पृथक राज्य' बनना चाहिए? #FaislaAapka

- नहीं बनना चाहिए - 

- राजनीतिक नीरसता और मुद्दे से लोगों की भावनात्मक दूरी 

पृथक बुंदेलखंड की मांग में न तो राजनेता की दिलचस्पी है और न ही जनता की, जिस भी स्थानीय नेता ने इस मुद्दे को आधार बनाकर, विधानसभा पहुँचने का सपना देखा उसे अपनी जमानत जब्त करानी पड़ गई. फिर ऐसे अलग से पूछेंगे तो शायद कुछ लोग पक्ष में बोल दें, लेकिन पृथक राज्य के नाम पर आप एक सभा बुलाकर देखिये तो 500 आदमी भी नहीं आएगा. तो जब क्षत्रिये जनता ही संगठित रूप से ऐसा कोई बदलाव नहीं चाहती फिर एक्टिविस्ट या राजनेता किस आधार पर इस मुद्दे पर राजनीति कर सकते हैं. और इस कारण यह मुद्दा राजनीतिक गलियारों में ठंडा पड़ा रहता है.  

- पक्ष में दिए जा रहे कुछ तथ्य समझने की जरुरत 

राज्य बनने के पक्षधर कहते हैं कि अगर तेलंगाना बन सकता है, आठ जिलों वाला त्रिपुरा चल सकता है तो बुंदेलखंड क्यों नहीं, हां संभव है, लेकिन मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को पहले ही एक बार विभाजित किया जा चुका है, और बुंदेलखंड के लिए फिर एक बार दोनों राज्यों को तोड़ना होगा, उदाहरण के लिए मध्य प्रदेश के सागर संभाग के सभी जिले बुंदेलखंड में जायेंगे तो एमपी के संगठात्मक ढांचे में जो बदलाव आएगा उसका भी अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा. इसी प्रकार यूपी में भी...फिर एक अलग राज्य चलाने के लिए सभी जरुरी संसाधनों की पहुंच उपलब्ध कराना और आगामी कुछ सालों तक एक राज्य को निर्भर रखना भी केंद्र सरकार के पक्ष में काम नहीं करता, शायद इसीलिए भी केंद्र में सरकारें बदली लेकिन पृथक राज्य की मांग को लेकर सब का रवैया एक ही रहा.  

- पिछड़ेपन का पर्याय बनाने की कोशिश 

आप बुंदेलखंड के बारे में जब भी सुनते पढ़ते होंगे तो आपके जहन में घास की रोटी और सूखा जैसे दृश्य आते होंगे, क्योंकि दशकों से उठ रही इस मांग के दौरान आपको नरेशन ही ऐसा दिया गया है, लेकिन जब आप हकीकत में जाकर देखेंगे तो लोग अच्छे से बसे हुए हैं, बिजली पानी भी पर्याप्त मिल रहा है, कुछ प्राकृतिक भौगोलिक दिक्कतें जरूर हैं लेकिन इसके आधार पर आप बुंदेलखंड को पिछड़ेपन का पर्याय नहीं बना सकते. और देश के किस राज्य के ग्रामीण परिवेश में आप परंपरागत ढांचा नहीं देखते..लोग बहुत सी विषम परिस्थितियों में रहते हैं और ये कई राज्य में देखने को मिलता है, और हमें सभी में बराबर काम करने की जरूरत है.

-आजादी के पहले वाले दौर में ले जाने वाली सोच 

जी हां, पृथक बुंदेलखंड की मांग, आपको आजादी के पहले वाले दौर में ले जाने वाली है, जब भारत कई रियासतों में बंटा हुआ था, हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि अलग-अलग रियासतों में बंटे हिन्दुस्तान को जोड़कर एक किया गया, हम छोटे राज्यों की मांग उठाकर देश को फिर से उसी दौर में ले जाने की बात क्यों कर रहे हैं? आज बुंदेलखंड बनेगा तो कल पूर्वांचल और परसो मिथिलांचल की मांग भी उठेगी, फिर यूपी को भी चार छह हिस्सों में बाँटने की बात भी सड़क पर भीड़ जुटा ही चुकी है. ऐसे में आप देश को फिर से तिल तिल खंडित करने की बात कर रहे हैं, जो सही साबित होती रही तो कुछ ही सालों में देश कई रियासतों में बंट चुका होगा. 

तो इन सारे बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए मुझे लगता है कि बुंदेलखंड को पृथक राज्य नहीं बनाना चाहिए, लेकिन विकासकार्यों को गति देने का प्रण यूपी/एमपी दोनों सरकारों के पास होना चाहिए.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ