वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बंटे हुए बुंदेलखंड का इतिहास काफी पुराना है। बुंदेलखंड की धरती पर ऐसे कई शासकों ने राज किया, जिसकी चर्चा दूर-दूर तक होती है। यही नहीं, ये जगह आज भी कई किस्सों के लिए मशहूर है। बुंदेलखंड का नाम बुंदेल वंश से पड़ा था। बुंदेल राजपूतों ने चंदेल वंश से इसे जीता था, जिसके बाद इस जगह को बुंदेलखंड के नाम से जाना गया।
बुंदेलखंड में क्या है खास?
बुंदेलखंड का एक मशहूर किस्सा बाजीराव-मस्तानी से जुड़ा हुआ है। मशहूर डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की फिल्म बाजीराव-मस्तानी तो अधिकांश लोगों ने देखी होगी, लेकिन ज्यादातर लोगों को ये नहीं मालूम कि बाजीराव और मस्तानी के बेटे शमशेर बहादुर को बांदा की जागीर मिली थी, जो राजा छत्रसाल ने बाजीराव को तोहफे के रूप में दिया था।
बता दें कि बाजीराव ने राजा छत्रसाल की मुगलों के खिलाफ लड़ने में मदद की थी, जिससे खुश होकर राजा ने बाजीराव को तोहफा दिया था। यही नहीं, शमशेर के बाद अली बहादुर ही बांदा का नवाब बना। अपने शासन के दौरान उसने बुंदेलखंड में कई जगहों को शामिल किया। ये तो बुंदेलखंड से जुड़ा महज एक मामला था, जहां से मस्तानी के ताल्लुकात थे।बुंदेलखंड का एक मशहूर किस्सा बाजीराव-मस्तानी से जुड़ा हुआ है। मशहूर डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की फिल्म बाजीराव-मस्तानी तो अधिकांश लोगों ने देखी होगी, लेकिन ज्यादातर लोगों को ये नहीं मालूम कि बाजीराव और मस्तानी के बेटे शमशेर बहादुर को बांदा की जागीर मिली थी, जो राजा छत्रसाल ने बाजीराव को तोहफे के रूप में दिया था।
बता दें कि बाजीराव ने राजा छत्रसाल की मुगलों के खिलाफ लड़ने में मदद की थी, जिससे खुश होकर राजा ने बाजीराव को तोहफा दिया था। यही नहीं, शमशेर के बाद अली बहादुर ही बांदा का नवाब बना। अपने शासन के दौरान उसने बुंदेलखंड में कई जगहों को शामिल किया। ये तो बुंदेलखंड से जुड़ा महज एक मामला था, जहां से मस्तानी के ताल्लुकात थे।
महान योद्धाओं का घर है बुंदेलखंड
भले ही वर्तमान समय में बुंदेलखंड चंबल के डाकुओं और अपने पिछड़ेपन की वजह से चर्चा का विषय बना रहता है, लेकिन एक समय में ये जगह अपने आपमें सम्पूर्ण थी, जिसे कभी किसी की जरूरत नहीं पड़ी। अगर इतिहास में देखें तो खनिज और संसाधन की यहां किसी तरह की कोई कमी नहीं थी। यहां से बड़े-बड़े योद्धा सामने आये, जिसमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम जरूर शामिल किया जाता है।
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महान कविओं ने भी यहां लिया जन्म
रानी लक्ष्मीबाई के अलावा चंदेल और बुंदेल वंशज मुगलों के खिलाफ लड़ी गई लड़ाईयों के लिए जाने जाते हैं। बुंदेलखंड की धरती ने अनेक शासकों के अलावा कई महान कवियों को भी जन्म दिया, जिसमें से तुलसीदास एक हैं। बांदा के राजापुर में जन्में तुलसीदास अकेले नहीं हैं, जिनके बुंदेलखंड से ताल्लुक रहे हों। उनके अलावा ऋषि अगस्त्य, वाल्मीकि और व्यास मुनि ने भी इस पवित्र भूमि में वर्षों तक ध्यान किया था।
मशहूर हैं ये तीन किले
यूं तो बुदेलखंड में कई सारे किले मौजूद हैं, लेकिन इनमें कुछ बेहद मशहूर हैं। तो आईए जानते हैं बुंदेलखंड के किलों के बारे में:
कालिंजर किला
भूरागढ़ का किला
राजा गुमान सिंह ने 17वीं शताब्दी में केन नदी के किनारे भूरे पत्थरों से भूरागढ़ का किला बनवाया था। ऐसे में यहां आज भी इस किले के खंडहर देखने को मिलते हैं। माना जाता है कि इस किले ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अगर आप सूर्यास्त देखना चाहते हैं तो आपको किले से बेहद खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा। यही नहीं, यहां एक मेले का आयोजन भी किया जाता है जो 'नटबली का मेला' नाम से काफी मशहूर है। अगर आप इतिहास के शौकीन हैं तो भूरागढ़ का किला जरूर घूमने जाएं।
ओरछा किला
सोलहवीं सदी में राजा रुद्र प्रताप सिंह ने इस किले का काम शुरू कराया था। इस किले के अन्दर भवन और मंदिर मौजूद हैं। मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में यह किला स्थित है। बेतवा और जामनी नदी के संगम से एक छोटा सा द्वीप बना है, जहां ये किला मौजूद है। इस किले में राज महल, राम मंदिर, जहांगीर महल और सावन भादों महल स्थित है।
बुंदेलखंड में झांसी का शहर सबसे बड़ा है। इसके अलावा झांसी का किला, टीकमगढ़ दुर्ग और रामपुरा फोर्ट कुछ ऐसी जगहें हैं, जिन्हें आप एक्सप्लोर कर सकते हैं। उम्मीद है आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा।
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