बांदा। आज से परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई शुरू होगी, लेकिन मंडल के 65 फीसदी बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ेगी। ऑपरेशन कायाकल्प भी परिषदीय स्कूलों की व्यवस्थाएं नहीं सुधार सका है। अफसरों के आदेशों-निर्देशों में पूरा साल गुजर गया। ऐसे में स्कूलों में बच्चों को एक बाद फिर विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
चित्रकूटधाम मंडल में 4,799 परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। परिषदीय स्कूलों को कान्वंटे के समकक्ष खड़ा करने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। स्कूलों की जर्जर व्यवस्थाओं में सुधार के लिए पिछले साल ऑपरेशन कायाकल्प अभियान शुरू किया था। शहरों में नगर निकायों व गांवों में ग्राम पंचायतों को स्कूलों को 19 पैरामीटर्स के अनुसार विकास कार्य के आदेश दिए गए थे। लेकिन पूरा साल आदेशों व निर्देशों में बीत गया। फिलहाल श्याम पट को छोड़कर कोई भी स्कूल अपने पैरामीटर्स के अनुसार संतृप्त नहीं हुआ। आलम यह है कि 2897 स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर तक नहीं है। इसमें सबसे बुरी हालत मंडल मुख्यालय के जनपद बांदा की है। यहां पर 65 फीसदी स्कूलों में फर्नीचर, बेंच, डेस्क मेज तक नहीं हैं। सबसे बेहतर स्थिति जनपद महोबा की है। यहां पर महज 170 विद्यालयों में फर्नीचर नहीं है। 62 फीसदी स्कूलों में फर्नीचर उपलब्ध है। इसी तरह मंडल के 75 फीसदी स्कूलों में दिव्यांग बच्चों के लिए टायलेट नहीं हैं। 20 फीसदी स्कूलों में चहार दीवारी नहीं है। 14 फीसदी स्कूलों में कक्षों की फर्श टूटी पड़ी है। कई में बिजली नहीं है। तिंदवारी ब्लॉक के प्राथमिक स्कूल रजवा डेरा में स्कूल तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं है। बच्चों को खेत की मेढ़ से जाना पड़ता है। अन्य कई स्कूल भी इसी तरह से हैं। जहां पर जाने के लिए रास्ते कठिन है।
इन स्कूलों में नहीं है फर्नीचर
जनपद- स्कूल
बांदा- 1092
चित्रकूट- 896
हमीरपुर- 739
महोबा- 170
योग- 2897
वर्जन
स्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था के लिए बीएसए को पत्र लिखा गया है। कहा गया कि शत प्रतिशत स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
Source: Amar Ujala
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