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बुंदेलखंड का कश्मीर: सात विशाल सरोवर, जिनमें कभी ख़त्म नहीं होता पानी

  • सात विशाल सरोवर और सब एक दूसरे से जुड़े हुए।
  • बारिश का पानी एक-एक कर सबको भर दे, इसलिए सदियों पहले हुआ ऐसा अद्भुत निर्माण। 

जल संरक्षण का मॉडल बुंदेलखंड के महोबा के चरखारी के सिवा कहीं नहीं मिलता। तभी इसे बुंदेलखंड का कश्मीर भी कहते हैं। यहां के यह सप्त सरोवर पूरे साल पानी से भरे रहते हैं।

आजादी से पहले चरखारी बुंदेलखंड की सबसे संपन्न रियासतों में शुमार थी। यहां के शासकों ने मंदिरों के साथ अन्य ऐतिहासिक भवनों का निर्माण कराया। रियासत काल में ही यहां सप्त सरोवर बनवाए।



जल संरक्षण के लिए ताल कोठी, जय सागर, रतन सागर, मदन सागर , गोला घाट , मलखान सागर ,वंशी सागर बना कर एक दूसरे से जोड़ा गया। तालाबों के टापू में मंदिर बना कर भंडारण क्षमता मापने का पैमान बनाया गया। टापू में बने मंदिरों में स्थित देव मूर्ति तक पहुंचते ही तालाब पूर्ण क्षमता से भर जाते हैं। पानी से सरोवर भरने के बाद रपट तलैया के जरिए अतिरिक्त पानी निकल कर दूसरे तालाब में पहुंच जाता है।

इस तरह सप्त सरोवरों में भरता है पानी

सप्त सरोवर में सबसे पहले गोला घाट आता है। यह चरखारी के बीच में गोल आकार में बना है, इसलिए इसे गोलाघाट कहते है। गोलाघाट के भरने के बाद पानी कोठी ताल में पहुंचता है। इस सरोवर के किनारे राजाओं के द्वारा मेहमानों के लिए एक कोठी का निर्माण कराया गया जिसे ताल कोठी कहते है। इस कोठी के कुछ कमरे पानी के  अंदर होने के कारण साल भर ठंडक देते हैं। कोठी ताल के बाद पानी जय सागर में पहुंचता है।

यह सरोवर राजा जय सिंह ने खुदवाया इसलिए  इसका नाम जय सागर पड़ गया। इसके बाद मलखान सागर पानी पहुंचता है। इस सरोवर का नाम सर मलखान सिंह जूदेव के नाम पर पड़ा।  यहां से पानी रपट तलैया होते हुए रतन सागर पहुंचता है। यह सरोवर राजा रतन सिंह के द्वारा तैयार कराया गया। इसके भर जाने पर पानी वंशी तालाब और मदन सागर पहुंचता है।


सरोवर के बीच में एक छोटा सा मंदिर बनाया गया है। जिसमें वासुदेव जी की खड़ी प्रतिमा है। इस प्रतिमा के सिर पर सूप के साथ भगवान श्रीकृष्ण का बाल रूप बना है, जिसका एक पैर सूप के बाहर निकाला रहता है। श्रृंखलाबद्ध तालाबों का जल स्तर एक समान रहता है। जब भगवान श्रीकृष्ण के पैर तक पानी पहुंच जाता है, तब सरोवर अपनी क्षमता से भर जाते हैं। प्रदेश में पहले मुख्यमंत्री गोविन्द वल्लभ पंत ने चरखारी की सुंदर वादियों को देखकर इसे बुंदेलखंड के कश्मीर की संज्ञा दी थी।



मंगल दुर्ग में भी सप्त सरोवर

चरखारी का मंगलगढ़ दुर्ग अब सेना के कब्जे में है। इस किले के ऊपर भी सप्त सरोवर हैं। हजारों फीट ऊंचाई पर बने यह सरोवर भी पानी से पूरे साल भरे रहते हैं। इन सरोवरों में बिहारी सागर, राधा सागर, सिद्ध बाबा का कुंड, रामकुंड, चैपरा, महावीर कुंड, बख्त बिहारी कुंड विशाल जल भंडारण के लिए प्रसिद्ध हैं। किले के ऊपर होने के बाद भी यह पानी से भरे रहते हैं जो रियासतकाल की कारीगरी को दर्शाते हैं।

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