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बुंदेलखंड विशेष: 180 फीट लंबे नाग और 95 फीट लंबी नागिन की पूजा

बुंदेलखंड में अनेक ऐतिहासिक इमारतें हैं, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं, लेकिन धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो बुंदेलखंड अपनी अद्वितीय महत्वपूर्णता रखता है। बुंदेलखंड में प्रवेश द्वार के रूप में माना जाने वाला कालपी नगर, नाग पंचमी के दिन भव्य मेले का आयोजन करता है। यहां पर 95 फीट लंबी नागिन और 180 फीट लंबे नाग देवता की पूजा भी की जाती है। इस अवसर पर लगभग 200 वर्षों से मेला और दंगल की परंपरा जारी है।

180 feet naag nagin worship in bundelkhand

जालौन के कालपी कस्बे को सांस्कृतिक और ऐतिहासिक नगरी के रूप में जाना जाता है और इसे बुंदेलखंड का प्रवेश द्वार भी कहते हैं। सांस्कृतिक धरोहरों में से एक, कालपी कस्बे में नाग पंचमी के दिन लंका मीनार पर 200 वर्षों से मेला और दंगल का आयोजन होता है। कालपी नगर, जो उरई मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर है, नाग पंचमी के दिन भक्तों को नाग देवता की पूजा-अर्चना करने का अवसर प्रदान करता है। पूजा के पश्चात्, स्थल पर बने नाग और नागिन की मूर्तियों की पूजा के बाद दोपहर में दंगल का आयोजन किया जाता है।

नागिन की 95 फीट और नाग देवता की 180 फीट की विशालकाय मूर्तियां

कालपी नगर में लंका मीनार पर, 180 फीट ऊँचे नाग देवता और 95 फीट ऊँची नागिन की मूर्तियां स्थित हैं। यह लंका मीनार नगर के रामगंज मोहल्ले में स्थित है। इस मीनार की निर्माण वर्ष 1875 में बाबू मथुरा प्रसाद द्वारा की गई थी। इसे बनाने में करीब 25 वर्ष लगे थे और इसकी ऊँचाई लगभग 30 मीटर है। लंका मीनार के मालिक विवेक निगम ने बताया कि उनके दादाजी ने 200 वर्ष पहले नाग पंचमी के दिन लंका मीनार पर मेले और दंगल की परंपरा शुरू की थी, और वो आज भी जारी है। इस वर्ष भी इसी परंपरा के तहत दंगल का आयोजन किया गया था।

लंका मीनार के सामने स्थित हैं शिव शंकर का मंदिर

लंका मीनार के सामने ही भगवान शिव शंकर का मंदिर स्थित है। भक्त यहां आकर पहले शिव शंकर की मूर्ति पर जल अर्पित करते हैं। इसके बाद वे नाग देवता की पूजा करते हैं। 180 फीट ऊँचे नाग देवता की मूर्ति लोगों की श्रद्धा का केंद्र बनी हुई है। इसके अलावा, दूरदराज इलाकों से आने वाले लोग यहां पर अपनी याचनाएँ लेकर आते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां पर मेले और दंगल की परंपरा बहुत पुरानी है और यहां के नजदीकी जिलों से भी लोग आकर पूजा-अर्चना करने आते हैं।

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