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बुंदेलखंड में PM Modi, सरकार बचाने के लिए दलित मतदाताओं को साधने की तैयारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को सागर आ रहे हैं। पिछले पांच महीने में मध्यप्रदेश में ये उनका ये 5वां कार्यक्रम है। 

PM Narendra Modi 

मोदी यहां संत रविदास स्मारक स्थल का भूमिपूजन करेंगे। इस इवेंट को भाजपा ने प्रदेश की 54 विधानसभा सीटों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया है। इनमें 35 सीटें अनुसूचित जाति के लिए हैं। बाकी 19 सीटें सामान्य हैं, लेकिन इन पर दलित वोटर निर्णायक भूमिका में हैं।

पिछले 6 विधानसभा चुनावों पर नजर दौड़ाएं तो SC सीटों पर भाजपा की मजबूत पकड़ दिखती है, लेकिन जैसे ही दलित वोटों का झुकाव कांग्रेस की तरफ हुआ, भाजपा सत्ता से बाहर हो गई।

MP में करीब 16 प्रतिशत दलित वोटर हैं। पिछली बार इन रिजर्व SC सीटों में कांग्रेस-BJP में कांटे की टक्कर देखने काे मिली थी। BJP को 18 SC सीटों पर सफलता मिली थी। कांग्रेस ने 17 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2013 के चुनाव की तुलना में कांग्रेस के हाथ 13 सीटें ज्यादा आई थीं। भाजपा को 10 सीटों का नुकसान हुआ था। इसी वजह से 2018 में कांग्रेस की सरकार बन गई।

सागर में PM के आने की वजह भी खास है

सागर में PM के कार्यक्रम की रूपरेखा तय करने की खास वजह है। PM के आने का मुख्य मकसद संत रविदास के भव्य स्मारक का भूमिपूजन करना है, लेकिन सागर बुंदेलखंड का सेंटर पॉइंट भी माना जाता है। बुंदेलखंड में कुल 26 सीटें हैं। यहां सबसे अधिक दलित वोटर हैं। उज्जैन-इंदौर के अलावा सागर ही ऐसा जिला है, जहां 5 लाख से अधिक दलित वोटर हैं। बुंदेलखंड से ही दलितों के साथ भेदभाव की सबसे ज्यादा खबरें आती हैं। BJP को पता है कि सत्ता में लौटना है, तो दलित वोटरों को साधे बिना ये मुमकिन नहीं होने वाला है।

चिंता की वजह 2018 में कांग्रेस द्वारा SC वोट बैंक में लगाई गई सेंध

SC सीटों पर जबरदस्त पकड़ रखने वाली BJP को 2018 के विधानसभा चुनाव में तगड़ा झटका लगा। कांग्रेस इस बार BJP के इस कोर वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल रही। उसने अपनी सीटों की संख्या 2013 की तुलना में 14 और बढ़ाते हुए 17 तक पहुंचा दी। वहीं, BJP 28 सीटों से घटकर 18 पर रह गई। यही कारण रहा कि BJP बहुमत से पीछे रह गई। BJP को 2020 में एक और झटका डबरा सीट पर लगा। यहां की विधायक इमरती देवी को पार्टी में शामिल करते हुए BJP ने उपचुनाव में उतारा था, पर दलित वोटरों ने इमरती की बजाय कांग्रेस प्रत्याशी का साथ दिया।

दलित वोटरों में जाटव, मोची और सतनामी की संख्या 47 प्रतिशत

प्रदेश में वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार अनुसूचित जाति की आबादी 1.13 करोड़ से अधिक है। इसमें भी जाटव, मोची और सतनामी की संख्या 47 प्रतिशत से अधिक हैं। इंदौर, उज्जैन और सागर जिले में पांच लाख से अधिक आबादी SC की है। मुरैना और छतरपुर में चार लाख से अधिक और उज्जैन, दतिया, टीकमगढ़ में कुल आबादी का 25 प्रतिशत SC वर्ग से हैं। शाजापुर, उमरिया, अनूपपुर, भोपाल व शहडोल में भी SC वोटर प्रभावी भूमिका में हैं। प्रदेश में 35 रिजर्व सहित 54 सीटों पर भी दलित वोटर निर्णायक हैं। ये संख्या किसी को भी सत्ता में लाने या बाहर करने के लिए पर्याप्त है। यही कारण है कि BJP SC वोटरों पर बड़ा फोकस कर रही है।

BJP 8 SC सीटों पर अजेय

BJP प्रदेश की 35 SC सीटों में 8 पर लगातार जीत रही है। इसमें 2008 में नए सिरे से आरक्षित हुई बीना, चंदला, हटा, पिपरिया, बैरसिया, आष्टा और खंडवा में लगातार तीन बार से जीत रही है। मल्हारगढ़ में BJP 1993 से लगातार जीत रही है। 30 साल में तीन बार सत्ता में आई कांग्रेस SC सीटों में पैठ बनाने के मामले में पीछे है। कांग्रेस एक मात्र डबरा को अपना गढ़ बना पाई है। कांग्रेस 2008 से लगातार जीत रही है। पिछली बार यहां की कांग्रेस विधायक इमरती देवी सिंधिया के साथ BJP में शामिल हो गई थीं। जब 2020 उपचुनाव हुआ, तो यहां के लोगों ने एक बार फिर कांग्रेस को जीत दिला दी।

  • आष्टा - BJP - 1993, 1998, 2003, 2008, 2013, 2018
  • बीना - BJP- 2008, 2013, 2018
  • चंदला - BJP- 2008, 2013, 2018
  • हटा - BJP- 2008, 2013, 2018
  • पिपरिया - BJP - 2008, 2013, 2018
  • बैरसिया - BJP- 2008, 2013, 2018
  • खंडवा - BJP- 2008, 2013, 2018
  • मल्हारगढ़ - BJP- 2008, 2013, 2018

बसपा करती रही है दलित वोटरों की राजनीति

MP में बसपा, BJP और कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ने में सक्षम है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 5 प्रतिशत वोट बैंक के साथ बसपा ही प्रदेश में तीसरे नंबर की पार्टी थी। वर्तमान विधानसभा में बसपा के दो विधायक पथरिया से रामबाई और भिंड से संजीव सिंह जीते थे। हालांकि, संजीव सिंह अब भाजपा के साथ हो लिए हैं। इसके अलावा बसपा प्रत्याशी जौरा, देवताल, ग्वालियर ग्रामीण, पौहारी, रामपुर बघेलान और सबलगढ़ में दूसरे नंबर पर थे। 36 सीटों पर बसपा तीसरे स्थान पर थी। यहां 5 हजार से लेकर 48 हजार वोट पाने में बसपा प्रत्याशी सफल रहे थे। पिछली बार भाजपा को सत्ता से बाहर करने में बसपा की बड़ी भूमिका थी। PM की सभा के बहाने BJP दलित वोटरों को साधने में जुटी है।

PM का सागर में ये है पूरा कार्यक्रम

PM नरेंद्र मोदी सागर में 1580 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाली दो सड़क परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे। 2475 करोड़ से अधिक की लागत वाली बीना-कोटा रेल मार्ग के दोहरीकरण का लोकार्पण करेंगे। ये रेलवे लाइन MP के गुना, अशोकनगर और सागर से होकर राजस्थान के कोटा और बारां जिलों को जोड़ेगी। वहीं, 100 करोड़ की लागत से निर्मित होने वाले संत शिरोमणि गुरुदेव रविदास स्मारक का शिलान्यास करेंगे। वे सबसे पहले दोपहर में रविदास स्मारक स्थल पर भूमिपूजन कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद धाना में आयोजित सभा को संबोधित करेंगे।

आज समरसता यात्रा का समापन

BJP ने संत शिरोमणि श्री रविदास स्मारक निर्माण समरसता यात्रा भी पांच स्थानों सिंगरौली, बालाघाट, श्योपुर, धार और नीमच से निकाली थी। पांचों यात्रों का रूट इस तरह से निर्धारित किया गया था कि प्रदेश की सभी 230 सीटें कवर हो जाएं। इन यात्राओं का समापन बड़तूमा में आज होगा। यहीं पर संत रविदास का भव्य स्मारक और मंदिर का निर्माण होना है। यात्रा के दौरान 53 हजार गांवों से मिट्‌टी, 315 नदियों का जल भी एकत्र कर लाया गया है।

ये आखिरी ओवर में अधिक रन बनाने की कवायद है

वरिष्ठ पत्रकार आशीष दुबे के मुताबिक प्रदेश में दलित और आदिवासी की 85 सीटें हैं। पिछले चुनाव में ये बंट गई थीं। इस बार BJP-कांग्रेस में इस बात की जोर-आजमाइश कि आखिरी ओवर में कौन अधिक रन बना लेगा? कांग्रेस के पक्ष में ये है कि उसने पिछली बार गेन किया है। अब आखिरी वक्त में कौन सफल होगा, ये उस वर्ग को लुभाने की चल रही कवायद से समझ सकते हैं।

BJP की ओर से लगातार दलित-आदिवासी वोटरों को अपने पाले में लाने के जतन किए जा रहे हैं। ये संयोग कहें या दुर्योग कि सागर और बुंदेलखंड से ही दलित उत्पीड़न की घटनाएं हाल-फिलहाल में सबसे अधिक सामने आई हैं। सागर में दलित उत्पीड़न की घटनाएं कुछ अधिक ही हुई हैं। BJP को लगता है कि विंध्य में उसकी जो सीटें कम होंगी, उसकी भरपाई बुंदेलखंड की सीटों से कर लेगी। यही कारण है कि PM का कार्यक्रम सागर में तय हुआ।

इन 5 सीटों पर पांच बार BJP विधायक जीता

  • कुरवाई - कांग्रेस- 1998, BJP- 1993, 2003, 2008, 2013, 2018
  • सारंगपुर - कांग्रेस- 1998, BJP- 1993, 2003, 2008, 2013, 2018
  • आगर - कांग्रेस - 1998, BJP- 1993, 2003, 2008, 2013, 2018
  • रैगांव - BJP - 1993, 1998, 2003, 2008, 2018 बसपा- 2013
  • अंबाह - BJP - 1993, 1998, 2003, 2008, बसपा- 2013, कांग्रेस- 2018

इन 8 सीटों पर 4 बार रहा BJP का कब्जा

  • जबलपुर पूर्व - BJP - 1993, 1998, 2003, 2013, कांग्रेस- 2008, 2018
  • सांची - BJP - 1993, 1998, 2003, 2013 कांग्रेस- 2008, 2018
  • तराना - BJP - 1993, 2003, 2008, 2013, कांग्रेस- 1998, 2018
  • घाटिया - BJP - 1993, 2003, 2008, 2013, कांग्रेस- 1998, 2018
  • आलोट - BJP - 1993, 1998, 2008, 2013 कांग्रेस- 2003, 2018
  • नरियावली - कांग्रेस - 1993, 1998, BJP- 2003, 2008, 2013, 2018
  • देवसर - कांग्रेस - 1993, 1998, BJP- 2003, 2008, 2013, 2018
  • आमला - कांग्रेस - 1993, 2003 BJP - 1998, 2008, 2013, 2018

इन 4 सीटों पर चार बार कांग्रेस पड़ी भारी

  • गोटेगांव सीट - कांग्रेस - 1993, 1998, 2008, 2018, BJP- 2003, 2013
  • परासिया सीट - कांग्रेस - 1993, 1998, 2013, 2018, BJP- 2003, 2008
  • सोनकच्छ सीट - BJP- 1993, 2013, कांग्रेस - 1998, 2003, 2008, 2018
  • महेश्वर सीट - कांग्रेस - 1993, 1998, 2008, 2018, BJP- 2003, 2013
  • इन तीन सीटों पर 3-3 बार BJP जीत
  • सांवेर - BJP - 1993, 2003, 2013 कांग्रेसी -1998, 2008, 2018
  • गोहद - बसपा - 1993, BJP 1998, 2003, 2013 कांग्रेस- 2008, 2018
  • भांडेर - कांग्रेस- 1993, 2018 बसपा-1998, BJP- 2003, 2008, 2013

इन 6 सीटों में 5 पर BJP आगे

  • अशोकनगर- BJP- 2008, 2013, कांग्रेस- 2018
  • गुन्नौर - BJP- 2008, 2013, कांग्रेस- 2018
  • गुना - BJSH - 2008, BJP- 2013, 2018
  • जतारा - BJP- 2008, 2018 कांग्रेस- 2013
  • मनगवां - BJP- 2008, 2018 बसपा- 2013
  • करेरा - BJP- 2008, कांग्रेस- 2013, 2018



साभार: दैनिक भास्कर 







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