मध्यप्रदेश में तीन माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय नेताओं के दौरे बढ़ गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर मध्यप्रदेश के दौरे पर हैं, वे इस बार बुंदेलखंड आ रहे हैं। कांग्रेस भी राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को बुंदेलखंड दौरे पर लाना चाहती है। बुंदेलखंड में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां क्यों जोर लगा रही है, इसका गणित 26 सीटों और चार लोकसभा सीटों पर सिमटा हुआ है। इसमें से ज्यादातर सीटें भाजपा के कब्जे में हैं और कांग्रेस यह सीटें छीनना चाहती है।
मध्यप्रदेश के सबसे बड़े क्षेत्र बुंदेलखंड पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की नजर है। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड की 26 सीटों में से 17 सीटें भाजपा ने जीती थी, जबकि कांग्रेस के खाते में 7 सीटें आ पाई थीं। सपा और बसपा के खाते में एक-एक सीटें थीं। इस क्षेत्र में बेरोजगारी, कुपोषण, अशिक्षा, पलायन जैसी कई समस्याएं हैं, जो बाकी इलाकों से काफी ज्यादा है। बुंदेलखंड में दलों से ज्यादा जातियां हैं, जिन पर पार्टियों की नजर रहती है। जातीय समीकरणों को संतुलित करने वाले ही यहां सीटों पर कब्जा कर पाते हैं। जबकि इस क्षेत्र में समाजवादी पार्टी और बसपा भी जोर दिखाती है।
भाजपा की तैयारी
भाजपा ने चुनाव से काफी पहले ही आक्रामक चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। भाजपा ने इस क्षेत्र के विकास के लिए 45 हजार करोड़ की लागत से केन-बेतवा लिंक परियोजना को मंजूरी देकर सबसे बड़ा दांव खेला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 अगस्त को सागर पहुंच रहे हैं। सागर में दलित वोटरों को साधने के लिए शिवराज सरकार का सबसे बड़ा आयोजन हो रहा है। पीएम मोदी यहां 100 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले संत रविदास मंदिर की आधारशिला रखेंगे। इस मौके पर पांच स्थानों से निकाली जा रही समरसता यात्राएं सागर पहुंच रही है। इसका समापन भी सागर में हो होगा।
बुंदेलखंड में कांग्रेस की हालत पतली
मौजूदा स्थिति की बात करें तो बुंदेलखंड में चार लोकसभा सीटें हैं, जो सभी भाजपा के पास है। सागर जिले की 8 सीटों में से दो कांग्रेस के पास है। दमोह की चार में से एक सीट कांग्रेस के पास है। छतरपुर की 6 सीटों में से तीन कांग्रेस के पास है। इसके अलावा टीकमगढ़-निवाड़ी की हालत को बहुत खराब है। यहां एक भी सीट कांग्रेस के पास नहीं है। पन्ना की तीन में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस को मिल पाई थी। कांग्रेस अब इस क्षेत्र पर जोर मार रही है। यहां दिग्विजय सिंह लगातार बुंदेलखंड में सक्रिय हैं। कांग्रेस ने 26 सीटों को जीतने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। कमलनाथ भी दौरा करने वाले हैं, वहीं मल्लिकार्जुन खड़गे का भी दौरा प्रस्तावित है। खड़गे भी इसी समय सागर आने वाले थे, लेकिन उनका कार्यक्रम कुछ समय के लिए टल गया है।
बुंदेलखंड के बारे में
दो राज्यों तक फैला हुआ है बुंदेलखंड। एक मध्यप्रदेश का बुंदेलखंड और दूसरा उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड। बुंदेलखंड का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। यहां की वीर गाथाएं और बलिदान के किस्से आज भी गाकर सुनाए जाते हैं।
बुंदेलखंड: 6 जिले, 26 विधानसभा, 1 संभाग
1. सागर (8 सीट) : सागर, नरयावली, रहली, बंडा, सुरखी, खुरई, बीना, देवरी
2. छतरपुर (6 सीट): छतरपुर, राजनगर, महाराजपुर, बिजावर, मलहरा, चंदेला
3. दमोह (4 सीट): दमोह, पथरिया, हटा, जबेरा
4. टीमकगढ़ (3 सीट): टीकमगढ़, जतारा, खरगापुर
5. पन्ना (3 सीट): पन्ना, पवई, गुन्नौर
6. निवाड़ी (2 सीट): निवाड़ी, पृथ्वीपुर
बुंदेलखंड का बड़ा मुद्दा
बुंदेलखंड के लिए यह अहम मुद्दा है। किसी भी पार्टी के लिए यह मास्टर स्ट्रोक हो सकता है। केन-बेतवा लिंक परियोजना नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना है, इसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मध्य प्रदेश की केन नदी के शेष जल को बेतवा नदी में ट्रांसफर करना है। यह उत्तर प्रदेश के झाँसी, बांदा, ललितपुर और महोबा जिलों और मध्य प्रदेश के टीकमगढ़, पन्ना तथा छतरपुर ज़िलों में फैला हुआ है। इस परियोजना में 77 मीटर लंबा तथा 2 किमी. चौड़ा दौधन बांध और 230 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण कार्य शामिल है।
बुंदेलखंड की केन-बेतवा लिंक परियोजना की खास बातें
44,605 करोड़ रुपए की है परियोजना
1062 लाख हैक्टेयर भूमि की होगी सिंचाई
62 लाख किसानों को मिलेगा पानी
103 मेगावाट जल ऊर्जा और 27 मेगावाट
सौर ऊर्जा का उत्पादन भी होगा
8 साल में बनकर होगा तैयार
इन जिलों को मिलेगा लाभ
मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छत्तरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी, उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी व ललितपुर जिलों को लाभ मिलेगा।
साभार: पत्रिका
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