MP Election 2023: टिकट न मिलने से नाराज नेता पार्टी से बागी होकर दूसरी पार्टी की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में अब भाजपा-कांग्रेस को समीकरण बिगड़ने का डर सता रहा है।
छतरपुर विधानसभा की छह सीटों पर बागियों का असर उम्मीदवारों के बीच फंसेगा पेंच कोई सपा, तो कोई बसपा से लड़ रहा चुनाव
छतरपुर। विधानसभा चुनाव का तीन दिन बाद काउंट डाउन शुरू हो जाएगा। 17 नवंबर को मतदान होगा। मतदाता अपनी पूरी तैयारी कर वोट डालते के लिए आतुर हैं। चुनावी रणा में भाजपा और कांग्रेस के जो प्रत्याशी जीत की उम्मीद लगाए बैठे हैं उनकी हार जीत का खेल फिलहाल बागियों ने फंसा दिया है। क्योंकि भाजपा कांग्रेस से जो टिकट मांग रहे थे वह नाराज होकर कहीं बसपा से तो कहीं सपा से टिकट लेकर चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं।
इन बागियों के कारण छतरपुर की हॉट सीट छतरपुर (Bundelkhand), महाराजपुर और राजनगर में भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों की बेचैनी बढ़ गई है। क्योंकि यह नाराज बागी अपना जनाधार रखते हैं और विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबले के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
बागियों के कारण अब यह कह पाना मुश्किल हो रहा है कि कौन सी सीट पर कौन जीतेगा या कौन हारेगा। अभी नामांकन फार्म भरे जाने के लिए दो दिन और बचे हैं। 30 अक्टूबर तक नामांकन भरे जाएंगे। 30 के बाद चुनावी मतदान की स्थिति सामने आ सकेगी।
महाराजपुर में तीनों चेहरे दिग्गज, कोई किसी से कम नहीं
महाराजपुर विधानसभा में भाजपा से कामाख्या प्रताप सिंह और कांग्रेस से नीरज दीक्षित चुनावी मैदान में हैं। इधर कांग्रेस से टिकट कटने के बाद अजय दौलत सिंह चुनावी मैदान में साइकिल पर सवार होकर आ गए हैं। वो भी पूरे जोर शोर से चुनाव लड़ रहे हैं। रही कसर बसपा उम्मीदवार और निर्दनीय पूरी कर देंगे।
इन बागियों के चलते महाराजपुर सीट पर हार जीत का पेच फंसता दिख रहा है। हालांकि नीरज दीक्षित को पिछले चुनाव में करीब 38 हजार वोटों से जीत मिली थी। इस बार पार्टी ने उनको फिर मैदान में उतारा है।
छतरपुर सीट पर भी बागी बिगाड़ेंगे चुनावी गणित
छतरपुर सीट पर पहले भाजपा और कांग्रेस के बीच ही चुनाव समझा जा रहा था। लेकिन कांग्रेस से बागी होकर हाथी पर सवार होकर आए बब्बू राजा और आप पार्टी से नाराज होकर सपा से टिकट लेकर आए चंदसोरिया ने भाजपा और कांग्रेस उम्मीदारों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। इन बागियों के कारण भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के चुनावी गणित बिगाड़ दिए हैं।
खास बात यह है कि छतरपुर (Bundelkhand) पर पिछला चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच करीब तीन हजार वोटों की हार जीत के साथ निपटा था। इस कारण छतरपुर में एक एक वोट उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण होगा।
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