MP News: आजादी के 76 साल बाद भी दलितों की ऐसी हालत... दरवाजे के सामने से ना गुजरे इसलिए सरकारी सड़क पर लगवा दिए फाटक
छतरपुर न्यूजः
शहर में आजादी के 76 साल बाद भी दलितों के साथ आज भी गुलामों जैसा व्यवहार करने का मामला सामने आया है। गांव की सरकारी सड़क से गुजरने से रोकने के लिए दबंगों ने फाटक लगाकर बंद कर दिया। दबंगों के इस दमघोटू निर्णय ले दलितों का जीवन जीना मुश्किल हो गया है।
देश को आजाद हुए 76 वर्ष हो चुके हैं लेकिन मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के कई जगहों पर दलितों की स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है। छतरपुर जिले के सिसोलर गांव में रहने वाले दलितों का आरोप है की उनके आम रास्ते से निकलने के लिए रोक लगाई गई है। यही वजह की गांव में रहने वाले कुछ दबंगों ने सरकारी सड़क पर बड़े बड़े फाटक लगा दिए है और रात में इन्हे पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है।
गांव में रहने वाले दलितों का आरोप है की दबंगों ने ऐसा जानबूझ कर किया है ताकि वह उनके घर के सामने से न निकले। गांव में रहने वाले दलितों का कहना है कि फाटक खुलवाने के लिए वे कई बार थानेदार और तहसीलदार को आवेदन दे चुके हैं लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ है। कोई उनकी शिकायत पर सुनवाई करने नहीं आया है।
गांव में दलितों से अत्याचार
सिसोलर गांव छतरपुर मुख्यालय से लगभग 120 किलोमीटर दूर यूपी बॉर्डर से लगा हुआ हैं। जिसकी जनसंख्या लगभग 1500 के आसपास है। जिसमें 1200 वोटर है गांव में ज्यादातर दलित रहते है। यह गांव लवकुशनगर अनुविभाग के अंर्तगत आता है। यहां रहने वाले दलितों की सड़क जैसी सुविधा से वंचित रखा गया है।
रास्ता बंद होने से खड़ी हुई मुश्किलें
गांव में रहने राजेंद्र अहिरवार बताते है कि दो फरवरी को उनके चाचा को दिल का दौरा पड़ा था। हम लोगों ने बांदा जिला अस्पताल ले जाने के लिए एक प्राइवेट वाहन कर लिया था। हालांकि फाटक लगा होने के कारण हम समय पर चाचा को अस्पताल नही ले जाए पाए और उनकी मौत हो गई। घर से जहां गाड़ी खड़ी थी उसकी दूरी 500 मीटर थी। फिर भी हम वहां नही पहुंच पाए क्योंकि गेट बंद था और गाड़ी नही आ पाई।
गांव में ही बेटी को दिया जन्म
गांव में रहने वाली 25 साल की दलित राजबाई अहिरवार का कहना है कि दो नवंबर की सुबह 9 बजे उसे प्रसव पीड़ा हुई। परिवार के लोगों ने अस्पताल जाने के लिए जननी एक्सप्रेस बुलाई। लेकिन वह दरवाजे तक नहीं आ सकी जिस वजह से गांव की सड़क पर ही मेरी बेटी का जन्म हो गया। फिलहाल राजबाई और उसकी बेटी गुड्डी दोनो स्वस्थ है लेकिन राजबाई चाहती है कि सड़क का फाटक खुले। वो चाहती है कि उसके जैसी हालत किसी और की ना हो।
एसडीएम ने कही कार्रवाई की बात
मामले में लवकुशनगर एसडीएम देवेंद्र चौधरी का कहना है कि 'गांव में फाटक लगे है इस बात की जानकारी है हमें। हालांकि दलितों को रास्ते से नहीं निकलने दिया जा रहा है इस बात की शिकायत नही आई है। पहले समय से ही उस गांव में फाटक लगे हुए है लेकिन गांव लोग शिकायत कर रहे हैं तो फाटक हटवाए जायेंगे'।
दो मैन गेट में लगे है बड़े बड़े फाटक
गांव के अंदर पहुंचने के मुख्यरूप से दो ही रास्ते है। इन दोनों ही आम रास्तों में लोहे के बड़े बड़े फाटक लगे हुए है। जिन दबंगों ने यह फाटक लगवाएं है वह जब चाहे उन्हे बंद कर देते है। दलितों का आरोप है कि फाटक लगे होने की वजह से उन्हें बहुत परेशानी उठानी पड़ रही है। इसको लेकर वह कई बार शिकायत भी कर चुके हैं।
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