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कभी गरीबी तो कभी कर्ज का बोझ... बुंदेलखंड में चार साल में 5000 लाेगों ने चुनी मौत

Jhansi News: कभी गरीबी तो कभी कर्ज का बोझ... बुंदेलखंड में चार साल में 5000 लाेगों ने चुनी मौत

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झांसी। गरीबी, कर्ज और रिश्तों में तकरार बुंदेलखंड (Bundelkhand) में खुदकुशी की बड़ी वजह बन रहा है। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक बुंदेलखंड में बीते चार साल में 5042 लोगों ने जिंदगी से हारकर मौत को गले लगा लिया। इनमें सबसे बड़ी संख्या किसानों की रही, जिन्होंने फसल खराब होने के सदमे में आत्महत्या कर ली।

बुंदेलखंड (Bundelkhand) में विभिन्न बैंकों ने किसान क्रेडिट कार्ड समेत अन्य योजनाओं के जरिए किसानों को करीब 672 करोड़ का कर्ज बांट रखा है। बुंदेलखंड में पिछले कई साल से मौसम लगातार किसानों को धोखा दे रहा है। कभी सूखे से फसल बेकार हो जा रही है तो कभी ओलावृष्टि फसलों को तबाह कर दे रही है। इस वजह से किसान समय पर कर्ज नहीं चुका पाते। उन पर ब्याज का बोझ बढ़ता जाता है। पिछले चार साल में बुंदेलखंड में 453 मामले ऐसे सामने आए, जिसमें किसानों ने फसल खराब होने के सदमे में फांसी लगाकर जान दे दी।

वहीं गरीबी भी बुंदेलखंड (Bundelkhand) में लोगों की खुदकुशी की बड़ी वजह बनी। आंकड़ों पर गौर करें तो चार साल में ललितपुर में 213 लोगों ने गरीबी से परेशान होकर फांसी लगा ली। वहीं झांसी में 196, उरई में 183 मामले ऐसे सामने आए जहां गरीबी के आगे जिंदगी हार गई। वहीं अवसाद, नशाखोरी, विवाह संबंधी विवाद, प्रेम प्रंसग, बेरोजगारी, परीक्षा में असफलता, व्यावसायिक असफलता से भी परेशान होकर लोगों ने आत्महत्या की। वहीं खुदकुशी के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2020 से लेकर 2023 तक हर साल मामले बढ़े हैं।

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